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"रोमहर्षण": अवतरणों में अंतर

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'''रोमहर्षण''', [[क्षत्रिय]] पिता तथा [[ब्राह्मण|ब्राह्मणी]] माता से सूत कुलोत्पन्न, व्यासकृत आद्यपुराण की छह संहिताओं का निर्माता, पुराणकथन के लिए ऋषियों द्वारा गौरवान्वित, अपनी रोमांचित कर देनेवाली वक्तृत्वशक्ति के कारण लोमहर्षण अथवा रोमहर्षण कहलाया जो [[नैमिषारण्य]] में [[शौनक]] आदि ऋषियों द्वारा आयोजित द्वादशवर्षीय सत्र के क्रम में कथावाचन के समय पधारे बलराम को, व्रतस्थ होने से उत्थापन न दे सकने के कारण आषाढ़ शुक्ल द्वादशी के दिन उनके द्वारा मारा गया।
'''रोमहर्षण''' व्यासकृत आद्यपुराण की छह संहिताओं का निर्माता, पुराणकथन के लिए ऋषियों द्वारा गौरवान्वित, अपनी रोमांचित कर देनेवाली वक्तृत्वशक्ति के कारण लोमहर्षण अथवा रोमहर्षण कहलाया जो [[नैमिषारण्य]] में [[शौनक]] आदि ऋषियों द्वारा आयोजित द्वादशवर्षीय सत्र के क्रम में कथावाचन के समय पधारे बलराम को, व्रतस्थ होने से उत्थापन न दे सकने के कारण आषाढ़ शुक्ल द्वादशी के दिन उनके द्वारा मारा गया। जिसके अनन्तर बलराम ने ब्रह्महत्या निवारणार्थ विभिन्न तीर्थों का सेवन किया तथा बल्वल आदि दैत्यों का वध करके एवं रोमहर्षण पुत्र उग्रश्रवा को सूत के स्थान पर अभिषिक्त करके शौनक जी को प्रसन्न किया ताकि वे निरन्तर कथा सुन सकें।

सूतजी के जन्म को लेकर सदा विवाद होता है। लोग कहते हैं कि सूत जी भी रथवाहक सूतों की संकर जाति में उत्पन्न थे किन्तु पद्म, स्कंध आदि पुराणों में "अग्निकुण्डसमुद्भूतः सूतो विमलमानसः" कहकर रोमहर्षण सूत को अग्निकुण्ड से उत्पन्न बताया गया है।


[[श्रेणी:पौराणिक पात्र]]
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12:05, 4 अप्रैल 2024 के समय का अवतरण

रोमहर्षण व्यासकृत आद्यपुराण की छह संहिताओं का निर्माता, पुराणकथन के लिए ऋषियों द्वारा गौरवान्वित, अपनी रोमांचित कर देनेवाली वक्तृत्वशक्ति के कारण लोमहर्षण अथवा रोमहर्षण कहलाया जो नैमिषारण्य में शौनक आदि ऋषियों द्वारा आयोजित द्वादशवर्षीय सत्र के क्रम में कथावाचन के समय पधारे बलराम को, व्रतस्थ होने से उत्थापन न दे सकने के कारण आषाढ़ शुक्ल द्वादशी के दिन उनके द्वारा मारा गया। जिसके अनन्तर बलराम ने ब्रह्महत्या निवारणार्थ विभिन्न तीर्थों का सेवन किया तथा बल्वल आदि दैत्यों का वध करके एवं रोमहर्षण पुत्र उग्रश्रवा को सूत के स्थान पर अभिषिक्त करके शौनक जी को प्रसन्न किया ताकि वे निरन्तर कथा सुन सकें।

सूतजी के जन्म को लेकर सदा विवाद होता है। लोग कहते हैं कि सूत जी भी रथवाहक सूतों की संकर जाति में उत्पन्न थे किन्तु पद्म, स्कंध आदि पुराणों में "अग्निकुण्डसमुद्भूतः सूतो विमलमानसः" कहकर रोमहर्षण सूत को अग्निकुण्ड से उत्पन्न बताया गया है।