Apara Ekadashi 2022: आज अपरा एकादशी पर पढ़ें यह व्रत कथा, प्रेत योनि से मिलती है मुक्ति
अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत आज 26 मई दिन गुरुवार को है. इस दिन अपरा एकादशी व्रत कथा सुननी चाहिए. इस व्रत कथा को सुनने मात्र से ही पाप मिट जाते हैं.
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 मई दिन गुरुवार को है. आज अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) व्रत है. अपरा एकादशी व्रत रखने से पाप, कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं. जो लोग अपरा एकादशी व्रत रहेंगे और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे, उनको इस दिन अपरा एकादशी व्रत कथा सुननी चाहिए या पढ़नी चाहिए. इस व्रत कथा को तो सुनने मात्र से ही पाप मिट जाते हैं. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि अपरा एकादशी या अचला एकादशी व्रत रखने से प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है. यह एकादशी व्रत अपार धन और यश भी करता है. आइए जानते हैं अपरा एकादशी व्रत कथा के बारे में.
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अपरा एकादशी व्रत कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के महत्व को बताने का निवेदन किया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं. इसका दूसरा नाम अचला एकादशी है. इस व्रत को करने से प्रेत योनि, ब्रह्म हत्या आदि से मुक्ति मिलती है.
एक समय की बात है. एक राज्य में महीध्वज नाम का राजा शासन करता था. उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही पापी था. वह अधर्म करने वाला, दूसरों के साथ अन्याय करने वाला और क्रूर था. वह अपने बड़े भाई महीध्वज से घृणा और द्वेष करता था.
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इसके परिणाम स्वरूप उसने अपने बड़े भाई के खिलाफ साजिश रची और एक रात उसने बड़े भाई की हत्या कर दी. उसके शव को ले जाकर जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ दिया. राजा महीध्वज अकाल मृत्यु के कारण प्रेत योनि में प्रेतात्मा बनकर उस पीपल के पेड़ पर रहने लगे. फिर वह प्रेतात्मा राजा बड़ा ही उत्पात मचाने लगा.
एक दिन वहां से धौम्य ऋषि गुजर रहे थे, तभी उन्होंने उसे प्रेत को पीपल के पेड़ पर देखा. उन्होंने अपने तपोबल से उस प्रेत राजा के बारे में सबकुछ पता कर लिया. तब उन्होंने प्रसन्न होकर प्रेतात्मा को पेड़ से नीचे उतारा और परलोक विद्या के बारे में ज्ञान दिया.
धौम्य ऋषि ने उस प्रेतात्मा राजा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं ही अपरा एकादशी का व्रत रखा. विधिपूर्वक अपरा एकादशी करने के बाद उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि उनके इस व्रत का पूरा पुण्य उस प्रेतात्मा राजा को मिल जाए, ताकि उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल सके.
भगवान विष्णु की कृपा से उस राजा को अपरा एकादशी व्रत का पुण्य मिल गया, जिससे वह प्रेत योनि से मुक्त हो गए. तब राजा ने दिव्य शरीर धारण किया और ऋषि को प्रणाम करते हुए धन्यवाद दिया. फिर वह राजा पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग चला गया.