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50 फीसदी से ज्यादा ट्रेन के टिकटों की बिक्री नकद, बड़ी वजह हैं एजेंट्स
7 वर्ष पहले
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नई दिल्ली. सरकार कैशलेस ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा दे रही है, लेकिन अभी भी देश में 50 फीसदी से ज्यादा ट्रेन के टिकटों की बिक्री कैश में होती है। रेल यात्री की ओर से किए गए सर्वे में कहा गया है कि ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि पैसेंजर्स ऐसा जरूरी समझते हैं, बल्कि इसलिए क्योंकि ऑथराइज्ड एजेंट रिजर्वेशन के लिए कैश लेते हैं। रिजर्व टिकटों की बिक्री में इन एजेंट्स की हिस्सेदारी करीब आधी है। सर्वे की अहम बातें, 5 प्वाइंट...
1) करीबी एजेंट्स के टिकट लेने को प्राथमिकता देते हैं
- रेल यात्री डॉट इन के सर्वे के मुताबिक, "पैसेंजर्स आज भी अपने करीब मौजूद एजेंट्स के जरिए टिकट बुक कराने को प्राथमिकता देते हैं। देशभर में अभी करीब 65 हजार ऐसे एजेंट्स हैं।"
- रेल यात्री डॉट इन के सर्वे के मुताबिक, "पैसेंजर्स आज भी अपने करीब मौजूद एजेंट्स के जरिए टिकट बुक कराने को प्राथमिकता देते हैं। देशभर में अभी करीब 65 हजार ऐसे एजेंट्स हैं।"
2) विश्वसनीय एजेंट्स के पास ही जाते हैं
- रेल यात्री के CEO मनीष राठी के मुताबिक, "रेल टिकटों की बिक्री कई फैसलों पर निर्भर करती है। अपने विश्वसनीय एजेंट्स के पास से टिकट बुक कराना उनमें से एक है।"
- रेल यात्री के CEO मनीष राठी के मुताबिक, "रेल टिकटों की बिक्री कई फैसलों पर निर्भर करती है। अपने विश्वसनीय एजेंट्स के पास से टिकट बुक कराना उनमें से एक है।"
3) सप्लाई-डिमांड में अंतर भी वजह
- राठी के मुताबिक, "देश में एक बड़ा हिस्सा मैनेज्ड सर्विसेस पर डिपेंट करता है। खासतौर से तब जब उनकी जरूरत बहुत अधिक हो। सप्लाई और डिमांड के बड़े अंतर और रेलवे ट्रैवल की दूसरी अनिश्चितताओं के जरिए ज्यादातर टिकटों की बिक्री एजेंटों के खाते में आती है। इसीलिए पैसेंजर्स में टिकट की बुकिंग के लिए एजेंट्स का इस्तेमाल करना पॉप्युलर है।"
- राठी के मुताबिक, "देश में एक बड़ा हिस्सा मैनेज्ड सर्विसेस पर डिपेंट करता है। खासतौर से तब जब उनकी जरूरत बहुत अधिक हो। सप्लाई और डिमांड के बड़े अंतर और रेलवे ट्रैवल की दूसरी अनिश्चितताओं के जरिए ज्यादातर टिकटों की बिक्री एजेंटों के खाते में आती है। इसीलिए पैसेंजर्स में टिकट की बुकिंग के लिए एजेंट्स का इस्तेमाल करना पॉप्युलर है।"
4) कैशलेस सिस्टम के बावजूद एजेंट्स कैश लेते हैं
- सर्वे के मुताबिक, "ज्यादातर एजेंट्स के पास डिजिटल पेमेंट लेने का मैकेनिज्म मौजूद रहता है। लेकिन, इसके बावजूद टिकट बुकिंग का करीब 100 फीसदी कैश में ही लिया जाता है। डिजिटल पेमेंट के मामले में कस्टमर तो आगे बढ़ते दिख रहे हैं, लेकिन एजेंट्स अभी भी इससे कतरा रहे हैं।"
- सर्वे के मुताबिक, "ज्यादातर एजेंट्स के पास डिजिटल पेमेंट लेने का मैकेनिज्म मौजूद रहता है। लेकिन, इसके बावजूद टिकट बुकिंग का करीब 100 फीसदी कैश में ही लिया जाता है। डिजिटल पेमेंट के मामले में कस्टमर तो आगे बढ़ते दिख रहे हैं, लेकिन एजेंट्स अभी भी इससे कतरा रहे हैं।"
5) टिकट के दाम बढ़े, पर एजेंट्स का कमीशन नहीं
- "पिछले 5 साल में ट्रेन के टिकटों के दाम 80% तक बढ़ गए हैं, लेकिन इस दौरान एजेंट्स का कमीशन 20 रुपए से 40 रुपए ही रहा है। वो भी तब जब उनके बिजनेस की कॉस्ट भी बढ़ी है। ये भी एक बड़ी वजह है कि एजेंट्स कैश में रकम लेते हैं।"
- "पिछले 5 साल में ट्रेन के टिकटों के दाम 80% तक बढ़ गए हैं, लेकिन इस दौरान एजेंट्स का कमीशन 20 रुपए से 40 रुपए ही रहा है। वो भी तब जब उनके बिजनेस की कॉस्ट भी बढ़ी है। ये भी एक बड़ी वजह है कि एजेंट्स कैश में रकम लेते हैं।"
नतीजा: कस्टमर्स का घाटा
- राठी के मुताबिक, "एजेंट्स की ओर से टिकट की एक्चुअल रकम पर लिए गए कमीशन का कोई सबूत नहीं मिलता है। और, इसका सबसे बड़ा घाटा कस्टमर्स को होता है।"
- राठी के मुताबिक, "एजेंट्स की ओर से टिकट की एक्चुअल रकम पर लिए गए कमीशन का कोई सबूत नहीं मिलता है। और, इसका सबसे बड़ा घाटा कस्टमर्स को होता है।"
रास्ता: एजेंट्स को मिले फायदा
- "ये एजेंट्स स्मॉल बिजनेस इकोसिस्टम का अटूट हिस्सा बन चुके हैं, ऐसे में सिस्टम को उन्हें फायदा पहुंचाना चाहिए। इससे वे उन कस्टमर्स पर ध्यान देना शुरू करेंगे, जो डिजिटली पे करना चाहते हैं। इस तरह से डिजिटल इंडिया का सपना भी पूरा होगा। हम मिनिस्ट्री से इस ओर ध्यान देने की उम्मीद करते हैं।"
- "ये एजेंट्स स्मॉल बिजनेस इकोसिस्टम का अटूट हिस्सा बन चुके हैं, ऐसे में सिस्टम को उन्हें फायदा पहुंचाना चाहिए। इससे वे उन कस्टमर्स पर ध्यान देना शुरू करेंगे, जो डिजिटली पे करना चाहते हैं। इस तरह से डिजिटल इंडिया का सपना भी पूरा होगा। हम मिनिस्ट्री से इस ओर ध्यान देने की उम्मीद करते हैं।"
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