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    सिर्फ दो फीसदी भारतीयों ने ही थिएटर में जाकर देखी 'बजरंगी भाईजान'

    सुपरस्‍टार सलमान खान की ब्‍लॉकबस्‍टर फिल्‍म 'बजरंगी भाईजान' ने इंडियन बॉक्‍स ऑफिस पर 300 करोड़ रुपये से ज्‍यादा की कमाई की थी। मगर क्‍या आपको पता है कि करीब 130 करोड़ की भारतीय आबादी में से सिर्फ दो फीसदी ने ही थिएटर में जाकर यह फिल्‍म देखी। एक सिनेमा थिएटर

    By Pratibha Kumari Edited By: Updated: Wed, 18 Nov 2015 05:22 PM (IST)

    कोचि। सुपरस्टार सलमान खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'बजरंगी भाईजान' ने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की थी। मगर क्या आपको पता है कि करीब 130 करोड़ की भारतीय आबादी में से सिर्फ दो फीसदी ने ही थिएटर में जाकर यह फिल्म देखी। जी हां, एक मल्टीप्लेक्स अधिकारी ने यह चौंकाने वाली हकीकत बयां की है।

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    रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने टीवी प्रीमियर के दौरान पूरे भारत में आश्चर्यजनक रूप से सात करोड़ 45 लाख लोगों ने इसे देखा। जबकि थिएटर तक लोगों की पहुंच बढ़ाने पर एक सेशन में खुलासा हुआ कि सिर्फ तीन करोड़ 21 लाख लोगों ने ही सिनेमाहॉल में जाकर यह फिल्म देखी।

    कार्निवाल सिनेमाज के डायरेक्टर और सीईओ पीवी सुनील ने कहा कि यह जानकर बहुत ही हैरानी हुई कि भारत की आबादी में से सिर्फ दो फीसदी ने ही यह फिल्म देखी, जिसने भारतीय सिनेमाघरों से 300 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की। उन्होंने कहा कि अगर हम इस गिरावट को पांच फीसदी भी बढ़ा पाते हैं तो भारतीय सिनेमा के कुल रेवेन्यू को बहुत बड़ा फायदा होगा। गिरावट की वजह पर सुनील का साफ इशारा इस तरफ था कि अब भी 50 फीसदी भारतीय आबादी थिएटर का रुख नहीं करती है।

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    सुनील ने कहा कि मौजूदा समय में जहां भारत में 10 लाख लोगों पर सिर्फ सात सिनेमाहॉल हैं, वहीं अमेरिका में इन सिनेमाहॉल की संख्या 100 है। वहीं इसमें भी सिर्फ 15 फीसदी सिनेमाहॉल ऐसे हैं, जो मल्टीप्लेक्स हैं। नहीं तो सब सिंगल स्क्रीन हैं। इसलिए सबसे बड़े फिल्म प्रोड्यूसर होने के बावजूद भी पैसे कमाने में भारत को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

    वहीं सिनेपॉलिस इंडिया के बिजनेस हेड देवांग संपत के मुताबिक, थिएटर तक लोगों की पहुंच बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका टीयर-2, टीयर-3 और टीयर-4 शहरों को टारगेट करना है। उन्होंने कहा कि हम लोग पटना में चार स्क्रीन वाले मल्टीप्लेक्स को खोलने वाले पहले लोग हैं। इसका रिस्पॉन्स बहुत अच्छा मिला है और इन सिनेमाघरों में टिकट का दाम भी मुंबई के बराबर है। इससे पता चलता है कि छोटे शहरों में भी फिल्म पर पैसा खर्च करने के लिए लोग सक्षम हैं।

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    उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में लोग 50 किलोमीटर दूर से फिल्में देखने के लिए आते हैं तो क्यों न हम ही उनके लिए पास में सिनेमाघर बना दें। उनके मुताबिक, भारत के लोग एंटरटेनमेंट के लिए नहीं बल्कि अपनी संस्कृति मान कर फिल्म देखते हैं। वहीं संपत ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में ज्यादातर मल्टीप्लेक्स मॉल में हैं, जो हेल्दी ट्रेंड नहीं है।

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