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    Weekly News Roundup Dhanbad: जब बाड़ ही खेत को खाने लगे... सुनें-क्या कह रहे कोयला अधिकारी

    Weekly News Roundup Dhanbadअब कोकिंग कोल का ठप्पा बीसीसीएल के काम नहीं आ रहा। मौजूदा सीएमडी को उनकी पूर्व कंपनी ही पलीता लगा रही है। दरअसल कोयला कोकिंग हो या नन कोकिंग यदि इस्पात और हार्डकोक को नहीं मिल रहा तो सभी कोयला एक समान हैं।

    By MritunjayEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2020 04:45 PM (IST)
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    कोयला नगर स्थित भारत कोकिंग कोल लिमिटेड का मुख्यालय (फाइल फोटो)।
    धनबाद [ रोहित कर्ण ]। Weekly News Roundup Dhanbad आकाशकिनारी व ब्लॉक-4 भी बीसीसीएल की ही महत्वपूर्ण कोलियरियां हैैं। यहां 10-10 दिन से लगभग 40 ट्रक खड़े हैैं। डैमेज झेल रहे कोयला कारोबारियों का प्रतिदिन डैमेज चार्ज भी लग रहा है। 24 दिसंबर तक ही कोयला उठाव की अंतिम तिथि है। कोयला नहीं उठा तो ऑक्शन फेल हो जाएगा और रकम फंस जाएगी। सोमवार को कारोबारी दौड़े-दौड़े पहुंचे कोलियरी कार्यालय। कहा, हुजूर जल्द कोयला दिलवाएं नहीं तो नुकसान हो जाएगा। अधिकारी महोदय झल्ला उठे। तुनक कर बोले- कोयला रहा तो देंगे ना। एक तो उत्पादन नहीं हो रहा, ऊपर से गांववाले परेशान किए हुए हैैं। आपको घाटे की इतनी चिंता है तो यहां के लिए बोली लगाते क्यों हैं?  कारोबारी सकपका गए। कहा कि यही वजह है कि इस बार 2000 टन के ऑक्शन में मात्र 400 टन की बोली लगी है। इधर मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि कोयला बचा ही नहीं।

    पुरानी कंपनी ही लगा रही पलीता

    अब कोकिंग कोल का ठप्पा बीसीसीएल के काम नहीं आ रहा। मौजूदा सीएमडी को उनकी पूर्व कंपनी ही पलीता लगा रही है। दरअसल कोयला कोकिंग हो या नन कोकिंग, यदि इस्पात और हार्डकोक को नहीं मिल रहा तो सभी कोयला एक समान हैैं। अब रोड सेल कारोबारी शंकर अग्रवाल की ही सुनिए। हाल ही में हुए ई-ऑक्शन में कोयला नहीं बिकने की वजह बता रहे कि बीसीसीएल का कोयला महंगा है। इसलिए वे और उनके जैसे कई व्यापारी रोड सेल के लिए सीसीएल में पैसा लगा रहे, क्योंकि वहां का कोयला सस्ता है। यहां फ्लोर प्राइस पर भी सेलेक्टिव लोडिंग चार्ज व अन्य कर लगा दें तो कोयला 7200 रुपये टन पड़ता है, जबकि सीसीएल में 5200 रुपये टन। वहां रिजर्व प्राइस ही 3700 से 4000 के बीच है। जब रोड सेल कोयला ईंट भट्ठा में ही जाना है तो कोकिंग-नन कोकिंग का क्या!

    खुद मियां मुख्तार तो डर काहे का

    बीसीसीएल में ओवरटाइम पर वर्षों से रोक लगी हुई है, बावजूद इसके इस मद में लाखों रुपये उठाने का मामला सामने आया है। यह कारनामा कर दिखाया है साउथ तिसरा परियोजना में हाजिरी बाबू रहे कर्मी ने। अब खुद ही ड्यूटी का हिसाब किताब देखना हो तो कोई लाभ क्यों न ले! सो साहब ने एक-दो बार नहीं, बल्कि वर्ष 2013 से 2015 तक हर माह 12 घंटे का ओवरटाइम अपने नाम से बनवाया। बलिहारी बीसीसीएल मुख्यालय के बाबुओं का, कि उन्होंने उसे पास भी कर दिया और भुगतान भी होता रहा। कुल 252 घंटे के लिए तकरीबन तीन लाख रुपये का भुगतान जनाब के खाते में हो गया। अब जाकर भेद खुला तो हाजिरी बाबू ने पहल कर कोल डिस्पैच सेक्शन में तबादला करा लिया। हालांकि अब लगता है देर हो गई, क्योंकि मामले की शिकायत ऊपर तक कर दी गई है।

    नहीं चली पूर्व मंत्री की हनक

    कोयलांचल में इन दिनों कोयला से अधिक बालू को लेकर मारामारी है। यहां भी अब सिंडिकेट की तूती बोलने लगी है, इतनी कि इसके आगे पूर्व मंत्री भी फीके पड़ गए हैं। जिले में फिलहाल बालू उठाव के लिए तीन घाट अधिकृत हैं। इनमें से दो एक समय सदानों के बड़े नेता रहे लालचंद महतो से संबद्ध हैं। इनमें एक को तो अभी तक क्लीयरेंस ही नहीं मिला है। दूसरे घाट पर हाल तक सब ठीकठाक था, लेकिन इन दिनों उन्हें चालान आवंटित नहीं किया जा रहा। बालू वाहन मालिकों की हड़ताल के बाद दो घाटों में से विभाग ने एक ही घाट को चालान आवंटित किया है। तोपचांची घाट पर सन्नाटा है। बालू कारोबार में पूर्व मंत्री पिछड़ रहे हैं। भागदौड़ इन्होंने भी खूब की, पर फायदा कुछ नहीं हुआ। अब सरकार की हनक भी नहीं रही, सो नौकरशाही के लपेटे में हैं।

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