अब मोबाइल के जरिए ऑनलाइन दर्ज की जाएगी बच्चों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हाजिरी
1 करोड़ 16 लाख के मोबाइल फोन खरीदेमासिक शुल्क देगी सरकारपोषण अभियान
जिले मे खुले आंगनबाड़ी केन्द्रों में आने वाले बच्चों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हाजिरी अब मोबाइल फोन के जरिए ऑन लाइन होगी। पोषण अभियान के तहत इसके लिए 1 करोड़ 16 लाख 72 हजार रुपए खर्च कर 1 हजार 459 मोबाइल फोन खरीदे गए हैं। एक फोन की कीमत 8 हजार रुपए बताई गई है। अब तक आंगनबाड़ी में कार्यकर्ताओं और बच्चों की हाजिरी की जांच विभागीय सुपरवाइजर के जरिए होती है। इसमें खानापूर्ति ही होती है। कभी आंगनबाड़ी केन्द्रों के ताले ही नहीं खुलते तो कभी केवल आधा घंटा खोलकर औपचारिकता निभाई जाती है। लेकिन अब मोबाइल फोन के जरिए रियल टाइम मोनटरिंग होने से आंगनबाड़ी केन्द्र समय से खोले जाएंगे। जिले में 1 हजार 459 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं। इनमें से 597 ग्रामीण क्षेत्र में है।
500 आंगनबाड़ी केन्द्राें को बिजली पानी की दरकार
जिले के कुल आंगनबाड़ी केन्द्राें में 500 आंगनबाड़ी केन्द्र ऐसे हैं जिनमें पानी और बिजली का कनेक्शन नहीं है। यहां आने वाले बच्चों व कार्यकर्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि अब नल जल योजना के तहत पंचायत क्षेत्र में इन केन्द्रों को फेजवाइज बिजली और पानी का कनेक्शन उपलब्ध करवाने की तैयारी की जा रही है।
पोषण योजना
सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए जीवनचक्र एप्रोच अपनाकर चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती एवं धात्री माताओ के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में समयबद्ध तरीके से सुधार हेतु महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय पोषण मिशन का गठन किया गया है। राष्ट्रीय पोषण मिशन अर्न्तगत कुपोषण को चरणबद्ध तरीके से दूर करने के लिए आगामी 3 वर्षो के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए है।
उद्देश्य एवं लक्ष्य
0-6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत,प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाना। 0 से 6 वर्ष के बच्चों का अल्प पोषण से बचाव एवं इसमें कुल 6 प्रतिशत,प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाना। 6 से 59 माह के बच्चों में एनीमिया के प्रसार मेंकुल 9 प्रतिशत,प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की दर से कमी लाना। 15 से 49 वर्ष की किशोरियों, गर्भवती एवं धात्री माताओं में एनीमिया के प्रसार में कुल 9 प्रतिशत,प्रति वर्ष 3 प्रतिशत की दर से कमी लाना। कम वजन के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कुल 6 प्रतिशत,प्रति वर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाना।
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