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महाराजा हरि सिंह की जयंती: ढोल-नगाड़ों पर झूमे लोग, बोले- उनकी वजह से संभव हुआ ‘कश्मीर का विलय’

महाराजा हरि सिंह की जयंती को मनाने के लिए जुटी भीड़ ढोल नगाड़ों के साथ जमकर झूमती नजर आई. इस दौरान कुछ लोगों ने कहां की यह महाराजा ही थे, जिनकी वजह से जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय संभव हो पाया.

महाराजा हरि सिंह की जयंती: ढोल-नगाड़ों पर झूमे लोग, बोले- उनकी वजह से संभव हुआ 'कश्मीर का विलय'
महाराजा हरि सिंह की आज 127वीं जयंती.Image Credit source: PTI
| Updated on: Sep 23, 2022 | 1:53 PM

जम्मू-कश्मीर के अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह की आज 127वीं जयंती है. 23 सितंबर 1895 ही वो तारीख थी, जब सिंह का जन्म हुआ था. महाराजा की जयंती को जम्मू कश्मीर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. सिर पर केसरी पगड़ी, हाथों में तलवार, दिल में जोश, उमंग और उत्साह के साथ लोग हरि सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए नजर आ रहे हैं. जम्मू में अलग-अलग संगठनों, राजनीतिक पार्टियों और आम लोगों की बड़ी संख्या में भीड़ देखने को मिल रही है, जो महाराजा को नमन करने के लिए जम्मू के डोगरा चौक पर जुटी है.

हरि सिंह की जयंती में हर आयु वर्ग के लोग शामिल हुए हैं. “सिंह अमर रहे” जयघोष से पूरा जम्मू शहर गूंज उठा है. खास बात यह कि महाराजा के जन्मदिन पर आज 127 किलो का लड्डू प्रसाद के रूप में बांटा गया है. यही नहीं, उनकी प्रतिमा पर फूलों की माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि भी दी गई है. इस दौरान मौजूद लोगों ने सरकार द्वारा जयंती पर अवकाश घोषित करने की मांग को पूरा करने को लेकर खुशियां मनाई और कहा “इतने साल का संघर्ष अब रंग लाया है”.

‘अवकाश’ के लिए सरकार का जताया आभार

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर में कई सालों से जम्मू के लोग और अलग-अलग संगठन खासतौर पर युवा राजपूत सभा महाराजा हरि सिंह की जयंती पर छुट्टी की मांग कर रहे थे. सरकार ने हाल ही में लोगों की इस मांग को पूरा करते हुए 23 सिंतबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी. आज महाराजा हरि सिंह का 127वां जन्मदिन है और यह पहली बार हुआ है कि सिंह की जयंती पर जम्मू के लोगों की जो सालों पुरानी मांग थी, उसको सरकार ने पूरा कर दिया. लोगों ने आज सरकार का दिल से आभार जताया.

खुशी से झूमते नजर आए लोग

जयंती को मनाने के लिए जुटी भीड़ ढोल नगाड़ों के साथ जमकर झूमती नजर आई. इस दौरान कुछ लोगों ने कहां की यह महाराजा ही थे, जिनकी वजह से जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय संभव हो पाया. वहीं, कुछ अन्य लोगों ने कहा कि हमारे लिए महाराजा हरी सिंह एक आदर्श है और हमेशा रहेंगे. गौरतलब है कि महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर के विलय के लिए पाकिस्तान की बजाय भारत को चुना था. लेकिन ये बात पाकिस्तान को नागवार गुजरी थी. क्योंकि वो इसे अपने देश का हिस्सा बनाना चाहता था. पाकिस्तान ने कश्मीर को अपने कब्जे में लेने के लिए यहां हमला बोल दिया था, जिसके बाद 31 अक्टूबर को हरि सिंह ने इस रियासत को भारत में शामिल करने की रज़ामंदी दे दी थी. तब से ये भारत का हिस्सा है.

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