सामग्री पर जाएँ

अल-मुतफ़्फ़िफ़ीन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

सूरा अल-मुतफ़्फ़िफ़ीन (इंग्लिश: Al-Mutaffifin) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 83 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 36 आयतें हैं।

इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अल-मुतफ़िफ़फ़ीन [1]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अल्-मुतफ़्फ़िफ़ीन[2] नाम दिया गया है।

नाम पहली ही आयत “तबाही है डंडी मारनेवालों (अल - मुतफ़िफ़फ़ीन) के लिए" से उद्धृत है।

अवतरणकाल

[संपादित करें]

मक्की सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।

इसकी वर्णन-शैली और वार्ताओं से साफ़ मालूम होता है कि यह मक्का मुअज़्ज़मा के आरम्भिक काल में अवतरित हुई है जब मक्कावालों के मन-मस्तिष्क में परलोक की धारणा बिठाने के लिए निरन्तर सूरतें अवतरित हो रही थीं, और इसका अवतरण उस समय हुआ जब मक्कावालों ने सड़कों पर, बाज़ारों में और सभाओं में मुसलमानों पर व्यंग्य करने और उनको अपमानित करने का सिलसिला आरम्भ कर दिया था, किन्तु अन्याय और अनाचार और मार-पीट का दौर अभी शुरू नहीं हुआ था।

विषय और वार्ता

[संपादित करें]

इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि इसका विषय भी परलोक है। पहली 6 आयतों में उस सामान्य बेईमानी पर पकड़ की गई है जो कारोबारी लोगों में अधिकतर फैली हुई थी। समाज की अगणित खराबियों में से इस एक ख़राबी को, जिसकी बुराई से कोई इनकार नहीं कर सकता था, उदाहरणार्थ लेकर यह बताया गया है कि यह आख़िरत से असावधान रहने का अपरिहार्य परिणाम है। जब तक लोगों को यह एहसास न हो कि एक दिन ईश्वर के सामने पेश होना है और कौड़ी - कौड़ी का हिसाब देना है, उस समय तक यह सम्भव नहीं है कि वे अपने मालमों में पूर्णतः सत्यवादी हो सकें। इस तरह नैतिकता के साथ परलोक की धारणा का सम्बन्ध अत्यन्त प्रभावकारी और चित्ताकर्षक ढंग से स्पष्ट करने के पश्चात् आयत 7 से 17 तक बताया गया है कि दुष्कर्मी लोग परलोक में प्रचण्ड विनाश में ग्रस्त होंगे। फिर आयत 18 से 28 तक सत्कर्मी लोगों के उत्तम परिणाम का उल्लेख किया गया है। अन्त में ईमानवालों को सान्त्वना दी गई है और इसके साथ काफ़िरों को सावधान किया गया है कि आज जो लोग ईमानवालों का अपमान कर रहे हैं क़ियामत के दिन यही अपराधी लोग अपनी इस चाल का बहुत बुरा परिणाम देखेंगे और यही ईमान लानेवाले इन अपराधियों का बुरा परिणाम देखकर अपनी आँखें ठंडी करेंगे।

सुरह "अल-मुतफ़्फ़िफ़ीन का अनुवाद

[संपादित करें]

बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है।

इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:

क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [3]"मुहम्मद अहमद" ने किया।

बाहरी कडियाँ

[संपादित करें]

इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें


पिछला सूरा:
अल-इन्फ़ितार
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-इनशिक़ाक़
सूरा 83 - अल-मुतफ़्फ़िफ़ीन

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114


इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. सूरा अल-मुतफ़िफ़फ़ीन,(अनुवादक: मौलाना फारूक़ खाँ), भाष्य: मौलाना मौदूदी. अनुदित क़ुरआन - संक्षिप्त टीका सहित. पृ॰ 955 से.
  2. "सूरा अल्-मुतफ़्फ़िफ़ीन का अनुवाद (किंग फ़हद प्रेस)". https://quranenc.com. मूल से 22 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  3. "Al-Mutaffifin सूरा का अनुवाद". http://tanzil.net. मूल से 25 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  4. "Quran Text/ Translation - (92 Languages)". www.australianislamiclibrary.org. मूल से 30 जुलाई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 March 2016.

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]