मैग्लेव ट्रेन
नवम्बर 2005 में जापान के यामानाशी के परीक्षण ट्रैक पर जेआर-मैग्लेव. 581 किमी प्रति घंटा.गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स प्राधिकरण.]]
मैग्लेव बस, या चुम्बक-प्रोत्थापित बस वह परिवहन प्रणाली है जो प्रोत्थापन (लेविटेशन) एवं प्रणोदन के लिए बहुत बड़े पैमाने पर चुम्बकों की चुम्बकीय शक्ति का इस्तेमाल करती है और 'बिना जमीन छुए' नियंत्रित रहते हुए गति करती है। यातायात की यह विधि पहिया युक्त सामूहिक पारगमन प्रणालियों की अपेक्षा यह विधि अधिक तेज, शान्त और झटकारहित है।
अभी तक मैग्लेव ट्रेन की उच्चतम गति 581 किलोमीटर प्रति घंटा (361 मील/घंटा) दर्ज की गई है। इस कीर्तिमान को वर्ष 2003 में जापान में स्थापित किया गया था, जो पारंपरिक टीजीवी (TGV) की दर्ज की गई गति से 6 किलोमीटर प्रति घंटा (3.7 मील/घंटा) अधिक तेज थी।
प्रथम वाणिज्यिक मैग्लेव "लोक-परिवाहक" को आधिकारिक तौर पर वर्ष 1984 में इंग्लैण्ड के बर्मिंघम में चालू किया गया था। इसे बर्मिंघम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा और बर्मिघम अंतरराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन के बीच, 42 किमी/घंटा (26 मील/घंटा) की गति से, मोनोरेल ट्रैक के एक उन्नत 600-मीटर (2,000 फीट) सेक्शन पर चलाया गया था। विश्वसनीयता और डिज़ाइन समस्याओं की वजह से इस प्रणाली को अंत में वर्ष 1995 में बंद कर दिया गया।
शायद वर्तमान में वाणिज्यिक तौर पर संचालित होने वाली द्रुत-गति मैग्लेव प्रौद्योगिकी का सबसे जाना माना कार्यान्वयन चीन के शंघाई में चलने वाले जर्मन-निर्मित ट्रांसरैपिड ट्रेन की आईओएस (IOS अर्थात् इनिशियल ऑपरेटिंग सेगमेंट या आरंभिक प्रचालन खंड) प्रदर्शन लाइन है जो अधिकतम 431 किमी/घंटा (268 मील/घंटा) और औसतन 250 किमी/घंटा (160 मील/घंटा) की गति से केवल 7 मिनट 20 सेकण्ड में लोगों को एयरपोर्ट तक 30 किमी (18.6 मील) का सफ़र तय कराता है।
इतिहास
[संपादित करें]प्रथम एकस्वाधिकार
[संपादित करें]दुनिया भर में विभिन्न आविष्कारकों को उच्च गति परिवहन एकस्व अधिकार की अनुमति प्रदान की गई।[1] एक रैखिक मोटर प्रेरित ट्रेन के आरंभिक अमेरिकी एकस्व अधिकारों से अल्फ्रेड ज़ेहडेन नामक आविष्कारक को सम्मानित किया गया। आविष्कारक को अमेरिकी पेटेंट 7,82,312 (21 जून 1902) और अमेरिकी पेटेंट RE12,700 (21 अगस्त 1907) से सम्मानित किया गया।[2] 1907 में, एक और आरंभिक विद्युतचुम्बकीय परिवहन प्रणाली को एफ. एस. स्मिथ ने विकसित किया था।[3] रैखिक मोटरों द्वारा प्रेरित चुम्बकीय उत्तोलन ट्रेनों के लिए जर्मन एकस्व अधिकारों की एक श्रृंखला से वर्ष 1937 और 1941 के दरम्यान हर्मन केम्पर को सम्मानित किया गया था।[4] एक आरंभिक आधुनिक प्रकार के मैग्लेव ट्रेन का वर्णन जी. आर. पोल्ग्रीन (25 अगस्त 1959) की अमेरिकी पेटेंट 31,58,765, मैग्नेटिक सिस्टम ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन में किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका के एक एकस्व अधिकार में "मैग्लेव" का इस्तेमाल पहली बार कैनेडियन पेटेंट्स एण्ड डेवलपमेंट लिमिटेड द्वारा "मैग्नेटिक लेविटेशन गाइडेंस "[5] में किया गया था।
न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका 1968
[संपादित करें]1961 में, थ्रोग्स नेक ब्रिज पर व्यस्त अवधि वाले यातायात के दौरान देर हो जाने पर ब्रुकहेवन नैशनल लैबोरेटरी (बीएनएल/BNL) के जेम्स पॉवेल नामक एक शोधकर्ता ने इस यातायात समस्या का हल निकालने के लिए चुम्बकीय रूप से उत्तोलित परिवहन के उपयोग पर विचार किया।[6] पॉवेल और बीएनएल सहयोगी गॉर्डन डैन्बी ने संयुक्त रूप से एक गाइडवे पर विशेष आकार वाले पाशों में विद्युत गतिबोधक उत्तोलक एवं स्थिरक बालों को प्रेरित करने के लिए एक गतिशील वाहन पर रखे हुए स्थिर चुम्बकों का इस्तेमाल करके एक मैग्लेव अवधारणा को तैयार किया।[7][8]
हैम्बर्ग, जर्मनी 1979
[संपादित करें]ट्रांसरैपिड 05 यात्रियों के परिवहन के लिए अनुज्ञापित लाँगस्टेटर प्रणोदन युक्त पहला मैग्लेव ट्रेन था। वर्ष 1979 में प्रथम इंटरनैशनल ट्रांसपोर्टेशन एग्ज़ीबिशन (आईवीए 79/IVA 79) के लिए हैम्बर्ग में एक 908 मीटर ट्रैक खोला गया था। इसमें लोगों की इतनी दिलचस्पी थी कि प्रदर्शनी के समाप्त होने के बाद तीन महीनों तक इसके संचालन को बढ़ाना पड़ गया था जो 50,000 से अधिक यात्रियों को वहन करता था। वर्ष 1980 में केसल में इसे फिर से जोड़ा गया।
बर्मिंघम, यूनाइटेड किंगडम 1984-1995
[संपादित करें]1940 के दशक के अंतिम दौर में, लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज के प्रोफ़ेसर एरिक लैथवेट ने रैखिक प्रेरण मोटर के प्रथम पूर्ण आकार वाले व्यावहारिक मॉडल को विकसित किया। वह वर्ष 1964 में इम्पीरियल कॉलेज के हेवी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के प्रोफ़ेसर बने, जहां उन्होंने अपने रैखिक मोटर के सफल विकास को चालू रखा। [9] चूंकि रैखिक मोटर के लिए वाहन एवं गाइडवे के दरम्यान शारीरिक संपर्क की आवश्यकता नहीं पड़ती है, इसलिए यह 1960 और 1970 के दशक में विकसित किए जा रहे कई उन्नत परिवहन प्रणालियों का एक आम स्थिर वस्तु बन गया। खुद लैथवेट ने ट्रैक्ड होवरक्राफ्ट नामक एक इसी तरह की परियोजना के विकास में भाग लिया, हालांकि इस परियोजना के वित्तपोषण को 1973 में रद्द कर दिया गया।[10]
स्वाभाविक रूप से रैखिक मोटर का इस्तेमाल मैग्लेव प्रणालियों के लिए भी काफी अनुकूल था। 1970 के दशक के आरम्भ में लैथवेट ने चुम्बकों की एक नई व्यवस्था का पता लगाया जो एक अकेले रैखिक मोटर को उत्तोलन के साथ-साथ अग्रगामी धक्का भी उत्पन्न करने की अनुमति प्रदान करता था जिससे एक मैग्लेव प्रणाली को चुम्बकों के केवल एक समूह के साथ निर्मित करने में आसानी हुई। कई सिविल इंजीनियरिंग प्रतिष्ठानों की टीमों के साथ डर्बी के ब्रिटिश रेल अनुसंधान प्रभाग में काम करके "पारगमन-प्रवाह" प्रणाली को एक कार्यात्मक प्रणाली में विकसित किया गया।
दुनिया का सबसे पहला वाणिज्यिक स्वचालित मैग्लेव सिस्टम 1984 और 1995 के दरम्यान बर्मिंघम इंटरनैशनल एयरपोर्ट के एयरपोर्ट टर्मिनल से निकटवर्ती बर्मिंघम इंटरनैशनल रेलवे स्टेशन के बीच चलने वाला एक निम्न-गतिक मैग्लेव शटल था।[11] ट्रैक की लंबाई 600 मीटर (1,969 फी॰) थी और ट्रेनों ने 15 millimeters (0.6 in) की ऊंचाई पर "उड़ान" भरी। यह लगभग ग्यारह वर्षों का संचालन था, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों के साथ अप्रचलन की समस्याओं ने बाद के वर्षों में इसे अविश्वसनीय बना दिया और इसे अब एक केबल लाइनर के साथ प्रतिस्थापित कर दिया गया है।[12] वास्तविक कारों में से एक कार अब पीटरबरो के रेलरोड में प्रदर्शनरत है, जबकि आरटीवी31 (RTV31) होवर ट्रेन वाहन पीटरबरो के नेने वैली रेलवे में संरक्षित है।
इस कड़ी के निर्माण के समय कई अनुकूल परिस्थितियां अस्तित्व में थीं:
- ब्रिटिश रेल रिज़र्व वाहन का वजन 3 टन था और 8 टन वजन वाले वाहन के रूप में इसका विस्तार करना आसान था।
- बिजली आसानी से उपलब्ध थी।
- एयरपोर्ट और रेल भवन टर्मिनल प्लेटफार्मों के लिए उपयुक्त थे।
- एक सार्वजनिक सड़क पर केवल एक चौराहे की जरूरत थी और इसमें कोई खड़ी ढ़लान शामिल नहीं थी
- भूमि पर रेलवे या एयरपोर्ट का स्वामित्व होता था
- स्थानीय उद्योग एवं परिषद सहायक थे
- कुछ सरकारी वित्त उपलब्ध कराया जाता था और साझेदारी वाला काम होने की वजह से प्रत्येक संगठन की लागत अधिक नहीं थी।
वर्ष 1995 में मूल प्रणाली के बंद होने के बाद मूल गाइडवे निष्क्रिय पड़ा हुआ है।[13] इस गाइडवे को वर्ष 2003 में फिर से प्रयोग में लाया गया जब मूल प्रणाली की जगह केबल से खींची जाने वाली एयररेल लिंक लोक परिवाहक को चालू किया गया।[14]
जापान
[संपादित करें]जापान में, स्वतंत्र रूप से विकसित दो मैग्लेव ट्रेन चलते हैं। पहला ट्रेन जापान एयरलाइंस द्वारा चलाया जाने वाला एचएसएसटी (HSST) और दूसरा ट्रेन जापान रेलवेज़ ग्रुप द्वारा चलाया जाने वाला जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev) है जो ज्यादा मशहूर है। बाद वाले ट्रेन का विकास वर्ष 1969 में शुरू हुआ और वर्ष 1979 तक यह मियाज़ाकी परीक्षण मार्ग पर नियमित रूप से 517 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से चलता रहा, लेकिन एक दुर्घटन के बाद, जिसमें ट्रेन नष्ट हो गया था, एक नया डिज़ाइन बनाने का फैसला किया गया। वर्ष 1997 में यामानाशी में एक बहुत बड़े और विस्तृत परीक्षण मार्ग (20 किमी लम्बा) को स्थानांतरित करने से पहले मियाज़ाकी में 1980 के दशक के दौरान कई परीक्षण किए जाते रहे। जर्मनी से शुरू हुई प्रौद्योगिकियों के आधार पर वर्ष 1974 में एचएसएसटी (HSST) का विकास कार्य शुरू हुआ। जापान के सुकुबा (1985) में, 30 किमी प्रति घंटे कम रफ़्तार से चलने बावजूद एचएसएसटी-03 (लिनिमो) को सुकुबा वर्ल्ड एक्सपोज़ीशन में लोकप्रियता हासिल हुई। जापान के ओकाज़ाकी (1987) में, जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev) ने ओकाज़ाकी प्रदर्शनी में एक परीक्षण सवारी की। जापान के सैतामा (1988) में, कुमागाया में प्रदर्शित सैतामा प्रदर्शन में एचएसएसटी-04-1 (HSST-04-1) को दिखाया गया। इसकी दर्ज की गई सबसे तेज़ गति 30 किमी प्रति घंटा थी। जापान के योकोहामा (1989) में, एचएसएसटी-05 ने योकोहामा में एक व्यावसायिक चालक का लाइसेंस प्राप्त किया और एक आम सवारी परीक्षण पूरा किया। इसकी अधिकतम गति 42 किमी प्रति घंटा थी।
वैंकूवर, कनाडा और हैम्बर्ग, जर्मनी 1986-1988
[संपादित करें]कनाडा के वैंकूवर (1986) में, जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev) को एक्सपो 86 (Expo 86) में प्रदर्शित किया गया था। अतिथिगण इस ट्रेन की सवारी मेले के मैदानों में ट्रैक के एक छोटे अनुभाग के एक छोर से दूसरे छोर तक कर सकते थे। जर्मनी के हैम्बर्ग (1988) में लगी एक अंतर्राष्ट्रीय यातायात प्रदर्शनी (आईवीए88/IVA88) में टीआर-07 (TR-07) को प्रदर्शित किया गया था।
बर्लिन, जर्मनी 1989-1991
[संपादित करें]पश्चिम बर्लिन में, 1980 के दशक के अंतिम दौर में एम-बॉन (M-Bahn) का निर्माण किया गया। यह तीन स्टेशनों को जोड़ने वाले 1.6 किमी मार्ग वाला एक चालकरहित मैग्लेव सिस्टम था। यात्री यातायात में परीक्षण की शुरुआत अगस्त 1989 और नियमित संचालन की शुरुआत जुलाई 1991 में में हुई थी। हालांकि यह लाइन एक उन्नत संरेखण का अनुसरण करती थी, फिर भी यह यू-बॉन (U-Bahn) स्टेशन ग्लीसड्रीक पर समाप्त हो जाती थी, जहां यह एक प्लेटफ़ॉर्म से आगे निकल जाती थी जिसका उस समय उपयोग नहीं किया जाता था; यह एक ऐसी लाइन से जुड़ा था जो पहले पूर्व बर्लिन तक जाती थी।बर्लिन की दीवार के ध्वस्त होने के बाद इस लाइन (आज का यू2) को फिर से जोड़ने के लिए जोर-शोर से योजनाएं बनाई जाने लगी। नियमित सेवा शुरू होने के केवल दो महीने बाद एम-बॉन (M-Bahn) लाइन का विध्वंसीकरण शुरू हुआ जिसे पुंडाई परियोजना कहा जाता था और यह फरवरी 1992 में पूरा हुआ था।
अन्य एकस्वाधिकार
[संपादित करें]उच्च गति परिवहन एकस्वाधिकार भी दुनिया भर के विभिन्न अन्य आविष्कारकों को प्रदान किए गए।[1] अल्फ्रेड ज़ेहडेन (जर्मन) नामक आविष्कारक को एक रैखिक मोटर प्रेरित ट्रेन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के आरंभिक एकस्वाधिकारों से सम्मानित किया गया। आविष्कारक को अमेरिकी पेटेंट 7,82,312 (21 जून 1902) और अमेरिकी पेटेंट RE12,700 (21 अगस्त 1907) से सम्मानित किया गया।[2] 1907 में, एक और आरंभिक विद्युत चुम्बकीय ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम को एफ. एस. स्मिथ द्वारा विकसित किया गया था।[3] वर्ष 1937 और 1941 के दरम्यान हर्मन केम्पर को रैखिक मोटरों द्वारा प्रेरित चुम्बकीय उत्तोलन ट्रेनों के लिए कई जर्मन एकस्वाधिकारों से सम्मानित किया गया।[4] एक आरंभिक आधुनिक प्रकार के मैग्लेव ट्रेन का वर्णन जी. आर. पोल्ग्रीन (25 अगस्त 1959) की अमेरिकी पेटेंट 31,58,765, मैग्नेटिक सिस्टम ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन में किया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका के एक एकस्व अधिकार में "मैग्लेव" का इस्तेमाल पहली बार कैनेडियन पेटेंट्स एण्ड डेवलपमेंट लिमिटेड द्वारा "मैग्नेटिक लेविटेशन गाइडेंस "[5] में किया गया था।
प्रौद्योगिकी
[संपादित करें]मैगलेव ट्रेन की मुख्य प्रणालियाँ (सिस्टम्स) निम्नलिखित हैं-
- (१) प्रोत्थापन प्रणाली (लेविटेशन सिस्टम) -- ट्रेन को पटरी से ऊपर उठाने वाली प्रणाली
- (२) प्रणोदन प्रणाली (प्रोपल्सन सिस्टम) -- आगे/पीछे ले जाने, ब्रेक लगाने आदि की से सम्बन्धित
- (३) मार्गदर्शन प्रणाली (गाइडेन्स सिस्टम) -- ताकि गाड़ी अपने रास्ते पर, एक सीमा से अधिक दाएँ-बाएं न हिले/जाय।
- (४) नियन्त्रण प्रणाली (कन्ट्रोल सिस्टम) -- गाड़ी के निचले भाग तथा रेलपथ के बीच की दूरी को नियन्त्रित करना, गाड़ी की चाल का नियन्त्रण
- (५) विद्युत-शक्ति प्रणाली (पॉवर सिस्टम) -- जमीन पर स्थित स्रोतों से चलती हुई या खड़ी गाड़ी को, स्पर्श-रहित विधि से विद्युत-शक्ति प्रदान करने के लिए
सिंहावलोकन
[संपादित करें]"मैग्लेव" शब्द केवल विशेष रूप से चुम्बकीय उत्तोलन एवं प्रणोदन के लिए बनाए गए वाहनों को ही नहीं, बल्कि रेलवे सिस्टम को भी संदर्भित करता है। मैग्लेव प्रौद्योगिकी के सभी संचालनात्मक कार्यान्वयनों में पहियेदार ट्रेन प्रौद्योगिकी के साथ न्यूनतम अधिव्यापन है और परंपरागत रेल ट्रैक के अनुकूल नहीं हैं। चूंकि वे मौजूदा आधारभूत संरचनाओं का साझा नहीं कर सकते हैं, इसलिए इन मैग्लेव प्रणालियों को परिपूर्ण परिवहन प्रणालियों के रूप में ही बनाया जाना चाहिए। अप्लाइड लेविटेशन एसपीएम मैग्लेव सिस्टम इस्पात की रेल की पटरियों के साथ अंतर-संचालनीय है और यह मैग्लेव वाहनों और पारंपरिक ट्रेनों को एक ही समय एक ही रास्ते पर चलने की अनुमति देता था। जर्मनी में एमएएन (MAN) ने एक मैग्लेव सिस्टम का भी निर्माण किया जो पारंपरिक पटरियों के साथ काम करता था लेकिन इसे कभी पूरी तरह से विकसित नहीं किया गया।[15]
- इन्हें भी देखें जेआर-मैग्लेव#फंडामेंटल टेक्नोलॉजी एलिमेंट्स, ट्रांसरैपिड#टेक्नोलॉजी, मैग्नेटिक लेविटेशन
मैग्लेव प्रौद्योगिकी के विशेष रूप से दो उल्लेखनीय प्रकार हैं:
- विद्युतचुम्बकीय निलम्बन (ईएमएस/EMS) के लिए, ट्रेन में स्थापित विद्युतचुम्बक इसे चुम्बकीय रूप से संवाहक (आम तौर पर इस्पात) ट्रैक की तरफ आकर्षित करते हैं।
- विद्युत्-गतिक निलम्बन (ईडीएस/EDS) ट्रेन को पटरी से दूर धकेलने के लिए ट्रैक और ट्रेन दोनों के विद्युत चुम्बकों का इस्तेमाल करता है।
एक और प्रयोगात्मक प्रौद्योगिकी - चुम्बकीय गतिबोधक निलंबन (एमडीएस/MDS) है, जिसका डिज़ाइन बनाया गया, जिसे गणितीय आधार पर सिद्ध किया गया, सहकर्मियों द्वारा इसकी समीक्षा की गई और एकस्वाधिकार प्रदान किया गया, लेकिन अभी भी इसका निर्माण नहीं हुआ है, जो ट्रेन को उठाने और इसे इसके नियत स्थान पर स्थापित करने के लिए एक स्टील ट्रैक के पास एक स्थायी चुम्बक सारणी के आकर्षक चुम्बकीय बल का इस्तेमाल करती है। प्रतिकारक स्थायी चुम्बक और अतिचालक चुम्बक जैसी अन्य प्रौद्योगिकियों में कई अनुसंधान किए गए हैं।
विद्युतचुम्बकीय निलंबन
[संपादित करें]मौजूदा विद्युत चुम्बकीय निलंबन (ईएमएस/EMS) प्रणालियों में, ट्रेन इस्पात की एक पटरी पर उठता है जबकि ट्रेन से संलग्न विद्युत चुम्बक नीचे से पटरी की तरफ झुके हुए हैं। इस प्रणाली को आम तौर पर सी-आकार वाली भुजाओं की एक श्रृंखला पर व्यवस्थित किया जाता है और भुजा का ऊपरी भाग वाहन से संलग्न होता है और और निचला भाग भीतरी किनारे में चुम्बक से सम्बद्ध होता है। पटरी ऊपरी और निचले किनारों के बीच स्थित होती है।
चुंबकीय आकर्षण दूरी के घन के साथ बदलता रहता है, इसलिए चुम्बकों और पटरी के बीच की दूरी में किए गए मामूली परिवर्तनों की वजह से भी बहुत ज्यादा परिवर्तनीय बल उत्पन्न होता है। बल में किए गए ये परिवर्तन गत्यात्मक रूप से अस्थिर होते हैं - यदि अनुकूलतम स्थिति में हल्का सा भी विचलन होता है, तो इसमें वृद्धि हो सकती है और ट्रैक से एक अपरिवर्तनशील दूरी (लगभग 15 millimeters (0.6 in)) पर एक ट्रेन को बनाए रखने के लिए प्रतिपुष्टि नियंत्रण की जटिल प्रणालियों की जरूरत पड़ती है।[16][17]
निलंबित मैग्लेव प्रणालियों का एक प्रमुख लाभ यह है कि वे हर तरह की गति पर काम करती हैं, जबकि विद्युत गतिबोधक प्रणालियां कम से कम लगभग 30 किमी प्रति घंटे की गति पर ही काम करती हैं। यह एक अलग कम गति वाली निलंबन प्रणाली की आवश्यकता को समाप्त कर देती है और परिणामस्वरूप यह ट्रैक लेआउट को सरल बना सकता है। इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि इस प्रणाली की गत्यात्मक अस्थिरता के लिए ट्रैक का अतिसहिष्णु जरूरी है, जो इस लाभ को उलट, या समाप्त कर सकता है। इस अवधारणा की अत्यधिक उलझन के फलस्वरूप लैथवेट को इस बात की चिंता थी कि अपेक्षित सहिष्णुता वाले एक ट्रैक का निर्माण करने के लिए चुम्बकों और पटरी के बीच के अंतराल को उस स्थान तक बढ़ा देना होगा जहां चुम्बक अनुचित ढंग से बड़े होंगे। [15] व्यवहार में, इस समस्या को प्रतिपुष्टि प्रणालियों के वर्धित प्रदर्शन के माध्यम से संबोधित किया जाता था, जो प्रणाली को गहन सहिष्णुता के साथ चलने की अनुमति प्रदान करता है।
विद्युत्-गतिक निलंबन
[संपादित करें]विद्युत गतिबोधक निलंबन (ईडीएस/EDS) में, पटरी और ट्रेन दोनों एक चुम्बकीय क्षेत्र पर बल लगाते हैं और इन चुम्बकीय क्षेत्रों के दरम्यान प्रतिकारक बल की वजह से ट्रेन उत्तोलित हो जाता है। या तो विद्युत चुम्बकों (जैसे कि जेआर-मैग्लेव में) या स्थायी चुम्बकों की एक सरणी (जैसे कि इंडकट्रैक में) द्वारा ट्रेन में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। तारों में एक प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र या ट्रैक में अन्य चालक पट्टियों द्वारा ट्रैक में प्रतिकारक बल पैदा होता है। प्रतिकारक मैग्लेव प्रणालियों का एक प्रमुख लाभ यह है कि ये प्राकृतिक रूप से स्थिर होते हैं - ट्रैक और चुम्बकों के बीच की दूरी में मामूली संकुचन से बहुत अधिक बल उत्पन्न होता है जो चुम्बकों को वापस उनकी मूल स्थिति में पहुंचा देता है, जबकि दूरी में एक हल्की सी वृद्धि बल को कम कर देती है और एक बार फिर वाहन सही अलगाव में लौट जाता है।[15] कोई प्रतिपुष्टि नियंत्रण जरूरी नहीं है।
प्रतिकारिक प्रणालियों का एक प्रमुख नकारात्मक पक्ष भी है। धीमी गति पर, इन कॉइलों और परिणामी चुम्बकीय प्रवाह में प्रेरित धारा इतनी भी अधिक नहीं होती है कि वह ट्रेन के वजन को सहारा दे सके। इस वजह से उत्तोलन को बनाए रखने की क्षमता वाली गति तक पहुंचने तक ट्रेन को सहारा देने के लिए ट्रेन में पहियों या कुछ अन्य प्रकार के लैंडिंग गियर का होना बहुत जरूरी है। चूंकि ट्रेन, उदाहरण के तौर पर उपकरण की खराबी की वजह से, किसी भी स्थान पर रूक सकता है, इसलिए सम्पूर्ण ट्रैक में ट्रेन की निम्न-गति और उच्च-गति दोनों तरह के संचालन को सहारा देने की क्षमता होनी चाहिए। इसका एक और नकारात्मक पक्ष यह है कि प्रतिकारक प्रणालियां स्वाभाविक रूप से उत्थापक चुम्बकों के सामने और पीछे ट्रैक में एक ऐसे क्षेत्र का निर्माण करती हैं जो चुम्बकों के विरूद्ध काम करता है और एक तरह से खिंचाव की स्थिति उत्पन्न करता है। यह आम तौर पर निम्न गति वाली प्रणालियों के लिए एक चिंता का विषय है, उच्चतर गति वाली प्रणालियों में इस प्रभाव के लिए उतना समय नहीं निकल पाता है जिससे यह इसकी सम्पूर्ण क्षमता और अन्य प्रकार के खिंचाव पर हावी हो सके। [15]
कर्षण बल का इस्तेमाल विद्युत गतिबोधक प्रणाली के लाभ के लिए किया जा सकता है, हालांकि, क्योंकि यह पटरियों में एक परिवर्तनीय बल उत्पन्न करता है जिसका इस्तेमाल ट्रेन को चलाने के लिए एक प्रतिक्रियावादी प्रणाली के रूप में किया जा सकता है, जिसमें अलग से एक प्रतिक्रिया प्लेट की जरूरत नहीं है, जैसा कि अधिकांश रैखिक मोटर प्रणालियों में होता है। लैथवेट ने इम्पीरियल कॉलेज की अपनी प्रयोगशाला में "पारगमन-प्रवाह" जैसी प्रणालियों के विकास का नेतृत्व किया।[15] वैकल्पिक रूप से, गाइडवे के प्रणोदन कॉइलों का इस्तेमाल ट्रेन के चुम्बकों पर बल लगाने के लिए और ट्रेन को आगे की तरफ बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ट्रेन पर बल लगाने वाले प्रणोदन कॉइल प्रभावी तौर पर एक रैखिक मोटर होते हैं: कॉइलों के माध्यम से प्रवाहित होने वाली एक परिवर्तनशील धारा एक निरंतर परिवर्तनीय चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण करती है जो ट्रैक के साथ आगे की तरफ बढ़ता रहता है। ट्रेन की गति का मिलान करने के लिए परिवर्तनशील धारा की आवृत्ति का तुल्यकालन किया जाता है। ट्रेन में लगी चुम्बकों के बल से निर्मित क्षेत्र और लागू क्षेत्र के बीच का अंतर्लम्ब एक ऐसा बल उत्पन्न करता है जो ट्रेन को आगे की तरफ ले जाता है।
विभिन्न प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन
[संपादित करें]ट्रेन की तरह की यात्रा के लिए चुम्बकीय उत्तोलन सिद्धांत के प्रत्येक कार्यान्वयन में लाभ और नुकसान शामिल हैं।
प्रौद्योगिकी | अनुकूल तर्क | प्रतिकूल तर्क | ||
ईएमएस (EMS)[18][19] (विद्युत चुम्बकीय निलंबन) | वाहन के अंतर और बाहर के चुम्बकीय क्षेत्र ईडीएस (EDS) से कम होते हैं; सिद्ध, वाणिज्यिक तौर पर उपलब्ध प्रौद्योगिकी जो बहुत ज्यादा गति (500 किमी प्रति घंटा) प्राप्त कर सकते हैं; कोई पहिया या द्वितीयक प्रणोदन प्रणाली की जरूरत नहीं है | वाहन और गाइडवे के बीच के अलगाव पर निरंतर नज़र रखना चाहिए और विद्युत चुम्बकीय आकर्षण की अस्थिर प्रकृति की वजह से होने वाले टकराव को से बचने के लिए इसे कंप्यूटर प्रणालियों से ठीक किया जाना चाहिए;
प्रणाली की निहित अस्थिरता और बाहरी प्रणालियों द्वारा आवश्यक निरंतर सुधार की वजह से कम्पन के मुद्दे उठ सकते हैं। | ||
ईडीएस (EDS)[20][21] (विद्युत गतिबोधक निलंबन) |
ऑनबोर्ड चुम्बक और पटरी एवं ट्रेन के बीच का अंतर उच्चतम दर्ज ट्रेन गति (581 किमी प्रति घंटा) और अत्यधिक भारण क्षमता को सक्षम बनाते हैं; सस्ते तरल नाइट्रोजन के साथ ठंडा किए गए, हाल ही में (दिसंबर 2005) इसके ऑनबोर्ड चुम्बकों में उच्च तापमान अतिचालकों का इस्तेमाल करके सफल संचालनों का प्रदर्शन किया गया है। | ट्रेन में निर्मित शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र हार्ड ड्राइव और क्रेडिट कार्ड जैसी चुम्बकीय डाटा भण्डारण माध्यम या गतिनिर्धारकों के साथ यात्रा करने वाले यात्रियों को ट्रेन में सवार होने में कठिनाई पैदा करेगा, जो चुम्बकीय कवच के उपयोग को आवश्यक बना देता है; गाइडवे प्रेरकता पर स्थापित सीमाबद्धता वाहन की अधिकतम गति को सीमित करता है; निम्न गति पर चलने वाले वाहनों में पहियों का होना बहुत जरूरी है। | ||
इंडकट्रैक सिस्टम[22][23] (स्थायी चुंबक ईडीएस) | फेलसेफ सस्पेंशन - चुम्बकों को सक्रिय करने के लिए किसी शक्ति की जरूरत नहीं है; चुम्बकीय क्षेत्र को कार के नीचे स्थापित किया जाता है; मैग्लेव ट्रेन को उत्तोलित करने के लिए निम्न गति (लगभग 5 किमी प्रति घंटा) से पर्याप्त बल उत्पन्न कर सकता है; बिजली विफल होने की स्थिति में कार अपने आप सुरक्षित ढ़ंग से धीमी हो जाती है; स्थायी चुम्बकों की हल्बच सरणी विद्युत चुम्बकों से ज्यादा लागत-प्रभावी साबित हो सकती हैं | वाहन के रूकने पर गति करने वाले ट्रैक खण्डों या पहियों की जरूरत पड़ती है। नई प्रौद्योगिकी जो अभी भी विकासाधीन है और जिसका अब तक कोई वाणिज्यिक संसकरण या पूर्ण पैमाने वाली प्रणाली प्रतिमान नहीं है। |
न तो इंडकट्रैक (Inductrack) और न ही सुपरकंडक्टिंग ईडीएस (Superconducting EDS) में एक स्थिर वाहन को उत्तोलित करने की क्षमता होती है, हालांकि इंडकट्रैक एक बहुत ही निम्न गति के लिए उत्तोलन प्रदान करता है; इन प्रणालियों के लिए पहियों की जरूरत पड़ती है। ईएमएस (EMS) प्रणालियां पहिया-विहीन होती हैं।
जर्मन ट्रांसरैपिड, जापानी एचएसएसटी (लिनिमो) और कोरियाई रोटेम ईएमएस मैग्लेव विरामावस्था में उत्तोलित होते हैं, जिसके लिए आवश्यक बिजली को बाद वाले दो मैग्लेव के लिए बिजली की पटरियों का इस्तेमाल करके और ट्रांसरैपिड के लिए बिना किसी तार का इस्तेमाल किए गाइडवे से प्राप्त किया जाता है। यदि गतिशील अवस्था में गाइडवे की बिजली चली जाती है, ऑनबोर्ड बैटरियों की बिजली का इस्तेमाल करके ट्रांसरैपिड उस वक़्त भी 10 किमी/घंटा (6.2 मील/घंटा) की रफ़्तार से उत्तोलन उत्पन्न करने में सक्षम होता है। लेकिन एचएसएसटी (HSST) और रोटेम प्रणालियों के साथ ऐसा नहीं होता है।
प्रणोदन
[संपादित करें]एक ईडीएस (EDS) प्रणाली एक ऑनबोर्ड रैखिक मोटर का उपयोग कर उत्तोलन और प्रणोदन दोनों की सुविधा प्रदान कर सकती है। ईएमएस (EMS) प्रणालियां ऑनबोर्ड चुम्बकों का इस्तेमाल करके ट्रेन को उत्तोलित कर सकती हैं, लेकिन इसे आगे की तरफ प्रेरित नहीं कर सकती हैं। क्योंकि वाहनों को प्रणोदन के लिए कुछ अन्य प्रौद्योगिकियों की जरूरत पड़ती है। ट्रैक में स्थापित एक रैखिक मोटर (प्रणोदन कॉइल) इस समस्या का एक समाधान है। प्रणोदन कॉइलों की निषेधात्मक लागत वाली लम्बी दूरियों के मामले में एक प्रोपेलर या जेट इंजन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्थिरता
[संपादित करें]अर्नशॉ के प्रमेय से पता चलता है कि स्थिर चुम्बकों का कोई भी संयोजन एक स्थिर संतुलन में नहीं हो सकता है।[24] हालांकि, विभिन्न उत्तोलन प्रणालियां अर्नशॉ के प्रमेय की मान्यताओं का उल्लंघन करके स्थिर उत्तोलन करती हैं। अर्नशॉ का प्रमेय मानता है कि चुम्बकों की क्षेत्र शक्ति स्थैतिक एवं अपरिवर्तनशील होती है और यह भी कि सापेक्ष पारगम्यता स्थिर होती है और इसका मान हर जगह 1 से अधिक होता है। ईएमएस (EMS) प्रणालियां सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्थिरीकरण पर भरोसा करती हैं। ऐसी प्रणालियां लगातार वहन दूरी को मापन और तदनुसार विद्युत चुम्बक की धारा का समायोजन करती हैं। सभी ईडीएस (EDS) प्रणालियां गतिशील प्रणालियां हैं (कोई भी ईडीएस प्रणाली तब तक ट्रेन को उत्तोलित नहीं कर पाती है जब तक यह गतिशील अवस्था में नहीं आ जाती है).
चूंकि मैग्लेव वाहन मूलतः उड़ती हैं, इसलिए पिच, रोल एवं विचलन के स्थिरीकरण के लिए चुम्बकीय प्रौद्योगिकी की जरूरत पड़ती है। इसके अतिरिक्त कुछ प्रौद्योगिकियों के साथ रूपांतरण, वृद्धि (अग्रगामी एवं पश्चगामी गति), घुमाव (एक तरफा गति) या उतार-चढ़ाव (उर्ध्वगामी एवं निम्नगामी गति) की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
मार्गदर्शन
[संपादित करें]कुछ प्रणालियां नल फ्लक्स प्रणालियों का इस्तेमाल करती हैं, जिसे नल करंट प्रणालियों के नाम से भी जाना जाता है,[25] ये प्रणालियां एक ऐसे कॉइल का इस्तेमाल करती हैं जो घुमाया हुआ होता है जिससे यह दो विरोधी, परिवर्तनशील क्षेत्रों में प्रवेश करता है। जब वाहन एकदम से एक सीध में होता है, कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है, लेकिन यदि यह लाइन से दूर गति करता है तो एक परिवर्तनशील प्रवाह उत्पन्न होता है जो जिससे एक ऐसे क्षेत्र का निर्माण होता है जो इसे लाइन में वापस धकेल देता है।
रिक्त ट्यूब प्रौद्योगिकी
[संपादित करें]कुछ प्रणालियां (विशेषकर स्विसमेट्रो प्रणाली) वैकट्रेन—वायु कर्षण को न्यूनतम बनाने के लिए मैग्लेव प्रौद्योगिकी युक्त गाड़ी में इस्तेमाल की जाने वाली रिक्त (वायुशून्य) ट्यूब ( Evacuated tubes)—के इस्तेमाल का प्रस्ताव देती हैं। इसमें गति एवं दक्षता को बढ़ाने की बहुत अधिक क्षमता है, जबकि पारंपरिक मैग्लेव ट्रेनों की अधिकांश ऊर्जा वायु कर्षण में नष्ट हो जाती है।[26]
रिक्त ट्यूबों में संचालित होने वाले ट्रेनों के यात्रियों के लिए एक संभावित जोखिम यह है कि ट्रेन की खराबी या दुर्घटना की स्थिति में सुरंग सुरक्षा निगरानी प्रणालियों द्वारा ट्यूब पर फिर से दबाव डालने तक यात्रियों को केबिन के दाब-प्रतिकूलन के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। रैंड कॉर्पोरेशन (Rand Corporation) ने एक वैक्यूम ट्यूब ट्रेन का डिज़ाइन तैयार किया है जो सिद्धांततः अटलांटिक या अमेरिका को 20 मिनट में पार कर सकता है।
शक्ति और ऊर्जा का उपयोग
[संपादित करें]मैग्लेव ट्रेनों के लिए ऊर्जा का इस्तेमाल ट्रेन में तेजी लाने के लिए किया जाता है और इसे फिर से प्राप्त किया जा सकता है जब ट्रेन धीमा ("पुनर्योजी गतिरोधन") हो जाता है। इसका इस्तेमाल ट्रेन को उत्तोलित करने और ट्रेन के संचलन को स्थिर करने के लिए भी किया जाता है। हवा ("वायु कर्षण") के जरिए ट्रेन पर बल लगाने के लिए इस ऊर्जा का मुख्य भाग जरूरी है। इसके अलावा कुछ ऊर्जा का इस्तेमाल एयर कंडीशनिंग, हीटिंग, प्रकाश व्यवस्था और अन्य विविध प्रणालियों के लिए किया जाता है।
बहुत कम गति पर उत्तोलन के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली का प्रतिशत (हर बार की ऊर्जा) काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। इसके अलावा बहुत कम दूरियों के लिए त्वरण के लिए इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा पर विचार किया जा सकता था। लेकिन वायु कर्षण पर काबू पाने के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली में वेग के घन के साथ वृद्धि होती है और इसलिए उच्च गति पर हावी हो जाती है (ध्यान दें: वेग के वर्ग द्वारा ऊर्जा बढ़ जाती है और रैखिक रूप में समय कम हो जाता है।
गुण-दोष, लाभ-हानि
[संपादित करें]परम्परागत ट्रेनों की तुलना में
[संपादित करें]इन दो प्रौद्योगिकियों के बीच के प्रमुख तुलनात्मक मतभेद पश्चगामी-संगतता, रोलिंग प्रतिरोध, वजन, शोर, डिज़ाइन बाध्यताओं, एवं नियंत्रण प्रणालियों में निहित है।
- पश्चगामी संगतता : वर्तमान में संचालनरत मैग्लेव ट्रेन परंपरागत ट्रैक के साथ सुसंगत नहीं है और इसलिए उनके सम्पूर्ण मार्ग के लिए सभी नए अवसंरचनाओं की जरूरत है। इसके विपरीत परंपरागत उच्च गति ट्रेन, जैसे - टीजीवी (TGV), मौजूदा पटरी अवसंरचना पर कम गति पर संचालित होने में सक्षम होते हैं, इस प्रकार खर्च कम हो जाता है जहां नई अवसंरचना ख़ास तौर पर महंगी होती थी (जैसे - शहर के टर्मिनलों के लिए अंतिम दृष्टिकोण), या उन जगहों का विस्तार किया जाता है जहां यातायात के लिए नई अवसंरचनाओं का कोई औचित्य नहीं है।
- क्षमता : ट्रैक और वाहन के दरम्यान भौतिक संपर्क के अभाव की वजह से मैग्लेव ट्रेनों को रोलिंग प्रतिरोध का एहसास नहीं होता है, उन्हें केवल वायु प्रतिरोध और विद्युत चुम्बकीय कर्षण ही एहसास होता है, जिसके लिए शायद बिजली की क्षमता में सुधार किया जाता है।[27]
- भार : कई ईएमएस (EMS) एवं ईडीएस (EDS) डिज़ाइनों में बड़े-बड़े विद्युत चुम्बकों का वजन एक प्रमुख डिज़ाइन मुद्दा है। एक विशाल ट्रेन के उत्तोलन के लिए एक बहुत शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र की जरूरत पड़ती है। इस वजह से विद्युत चुम्बकों की क्षमता और इस क्षेत्र को बनाए रखने की ऊर्जा लागत में सुधार लाने के लिए एक अनुसंधान पथ अतिचालकों का इस्तेमाल कर रहा है।
- शोर : चूंकि मैग्लेव ट्रेन के शोर का प्रमुख स्रोत विस्थापित हवा से आता है, इसलिए एक समान गति पर एक परंपरागत ट्रेन की तुलना में मैग्लेव ट्रेन कम शोर उत्पन्न करते हैं। हालांकि, मैग्लेव की मनोध्वनिक प्रोफाइल इस लाभ को कम कर सकती है: एक अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि मैग्लेव शोर को सड़क यातायात की तरह का दर्ज़ा दिया जाना चाहिए जबकि परंपरागत ट्रेनों में एक 5-10 dB "बोनस" होता है क्योंकि पता चला है कि एकसमान तीक्ष्णता स्तर पर ये कम कष्टप्रद होते हैं।[28][29]
- डिज़ाइन तुलना : ब्रेकिंग और उपरी तार पहनाव की वजह से फास्टेक 360 पटरीयुक्त शिंकनसेन को समस्याओं का सामना करना पड़ा है। मैग्लेव इन मुद्दों को खत्म करेगा। उच्चतर तापमान पर चुम्बक की विश्वसनीयता एक प्रतिकारी तुलनात्मक नुकसान साबित होता है (देखें - निलंबन के प्रकार), लेकिन नए धातुओं और निर्माण तकनीकों के फलस्वरूप ऐसे चुम्बकों का निर्माण हुआ है जो उच्चतर तापमान पर अपने उत्तोलनात्मक बल को बनाए रखते हैं।
कई प्रौद्योगिकियों की तरह, रैखिक मोटर डिज़ाइन में हुई उन्नति ने आरंभिक मैग्लेव प्रणालियों में उल्लिखित सीमाओं को संबोधित किया है। चूंकि रैखिक मोटरों को ट्रेन के भीतर स्थापित होना चाहिए या ट्रेन की पूरी लम्बाई पर उनके ट्रैक पर फैला होना चाहिए, इसलिए कुछ ईडीएस (EDS) और ईएमएस (EMS) मैग्लेव प्रणालियों के लिए ट्रैक डिज़ाइन का काम बिंदु-दर-बिंदु सेवाओं के अलावा अन्य किसी भी चीज़ के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। घुमाव सौम्य होना चाहिए, जबकि स्विच बहुत लम्बे होते हैं और बिजली के प्रवाह के समय इसे टूटने से बचाने के लिए इसकी देखभाल करने की जरूरत है। एक एसपीएम (SPM) मैग्लेव प्रणाली, जिसमें वाहन स्थायी रूप से ट्रैकों पर उत्तोलित होता है, इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण का उपयोग करके तुरंत ट्रैकों को स्विच कर सकते हैं जहां ट्रैक में कोई गतिशील पुर्जे नहीं होते हैं। एक प्रोटोटाइप एसपीएम (SPM) मैग्लेव ट्रेन ने स्वयं ट्रेन की लम्बाई के बराबर त्रिज्या वाले घुमाव का भी मार्गनिर्देशन किया है, जो यह दर्शाता है कि एक पूर्ण पैमाने वाले ट्रेन को एक परंपरागत ट्रेन के समान या उससे परिमित त्रिज्या वाले घुमाव का मार्गनिर्देशन करने की क्षमता होनी चाहिए।
- नियंत्रण प्रणाली : ट्रैक पर एक स्थिर ऊंचाई को कायम रखने के लिए ईएमएस (EMS) मैग्लेव को बहुत तेज प्रतिक्रिया वाली नियंत्रण प्रणालियों की जरूरत पड़ती है; विफलता की स्थिति में बिजली अस्थिरता के दौरान ट्रैक में दुर्घटनाग्रस्त होने से बचने के लिए ध्यानपूर्वक डिज़ाइन तैयार करने की जरूरत पड़ती है। अन्य मैग्लेव प्रणालियों में आवश्यक रूप से यह समस्या नहीं होती है। उदाहरण के लिए, एसपीएम (SPM) मैग्लेव प्रणालियों में कई सेंटीमीटर का एक स्थिर उत्तोलन अंतराल होता है।
विमान की तुलना में
[संपादित करें]कई प्रणालियों के लिए, एक उत्तोलन-से-कर्षण अनुपात को परिभाषित करना संभव है। मैग्लेव प्रणालियों के लिए ये अनुपात विमान से अधिक हो सकते हैं (उदाहरण के लिए, इंडकट्रैक 200:1 की उच्च गति तक पहुंच सकता है, जो किसी भी विमान की तुलना में कहीं अधिक है). इससे मैग्लेव की प्रति किलोमीटर क्षमता अधिक हो सकती है। हालांकि, उच्च परिभ्रमण गति पर, वायुगत्यात्मक कर्षण उत्तोलन प्रेरित कर्षण से काफी अधिक होता है। जेट परिवहन विमान काफी ऊंचाई पर परिभ्रमण के दौरान कर्षण को कम करने के लिए निम्न वायु घनत्व का फायदा उठाता है, इसलिए अपने उत्तोलन-से-कर्षण अनुपात के नुकसान के बावजूद, वे उच्च गति पर मैग्लेव ट्रेनों की तुलना में अधिक कुशलतापूर्वक यात्रा कर सकते हैं जो समुद्र सतह पर संचालित होते हैं (इसे वैकट्रेन अवधारणा द्वारा निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया जाता है). विमान अधिक लचीले भी होते हैं और उपयुक्त एयरपोर्ट सुविधाओं के प्रावधान के साथ अधिक गंतव्यों की सेवा प्रदान कर सकते हैं।
हवाई जहाज़ों के विपरीत, मैग्लेव ट्रेन बिजली द्वारा संचालित होते हैं और इस तरह इन्हें ईंधन ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। उड़ान भरने और नीचे उतरने के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के समय विमान ईंधन एक बहुत बड़ा खतरा बन जाता है। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक ट्रेन कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करते हैं, खास तौर पर तब जब ये परमाण्विक या अक्षय स्रोतों द्वारा संचालित होते हैं।
मैग्लेव की आर्थिकी
[संपादित करें]शंघाई मैग्लेव के निर्माण की लागत 9.93 बिलियन युआन थी।[30] इस कुल राशि में बुनियादी ढांचे, जैसे - विनिर्माण और निर्माण सुविधाओं और संचालनगत प्रशिक्षण, की पूंजीगत लागत शामिल है। वर्तमान में 7,000 यात्री प्रति दिन और 50 युआन प्रति यात्री[31] के हिसाब से इस प्रणाली से प्राप्त आय इस प्रणाली के प्रत्याशित जीवनकाल के लिए संचालनगत लागत को छोड़कर भी पूंजीगत लागत (वित्तपोषण पर लगने वाले ब्याज को मिलाकर) की भरपाई करने में असमर्थ है[उद्धरण चाहिए]. यदि क्षमता उपयोग में वर्तमान से 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो इसमें परिवर्तन हो सकता है।
चीन ने लगभग 200 मिलियन युआन प्रति किलोमीटर के हिसाब से मैग्लेव लाइन का विस्तार करने के भावी निर्माण की लागत को सीमित करने का लक्ष्य स्थापित किया है।[30]
एक प्रस्तावित बाल्टीमोर-वॉशिंगटन मैग्लेव परियोजना के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका संघीय रेलमार्ग प्रशासन के वर्ष 2003 के मसौदा पर्यावरणीय प्रभाव वक्तव्य के अनुसार वर्ष 2008 की अनुमानित पूंजीगत लागत 39.1 मील के लिए 4.361 बिलियन अमेरिकी डॉलर, या 111.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति मील (69.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति किलोमीटर) है। मैरीलैंड परिवहन प्रशासन (एमटीए/MTA) ने अपने स्वयं के पर्यावरणीय प्रभाव वक्तव्य का आयोजन किया और निर्माण के लिए 4.9 बिलियन डॉलर और संचालन के लिए 53 मिलियन प्रति वर्ष का लक्ष्य रखा। [32]
जापान की प्रस्तावित चुओ शिंकनसेन मैग्लेव के निर्माण की अनुमानित लागत 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जिसमें पर्वतों से होते हुए लम्बे-लम्बे सुरंगों वाले के मार्ग का निर्माण भी शामिल है। वर्तमान शिंकनसेन की जगह लेने वाले के टोकैडो मैग्लेव मार्ग की लागत कुल लागत का लगभग 1/10वां हिस्सा होगा क्योंकि इसमें किसी सुरंग निर्माण की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन शोर प्रदूषण सम्बन्धी मुद्दे इसे अव्यवहार्य बना देंगे।
वर्तमान में संचालनरत जापानी लिनिमो एचएसएसटी (HSST) नामक एकमात्र निम्न-गति मैग्लेव (100 किमी प्रति घंटा) के निर्माण की लागत लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति किमी है।[33] अन्य परिवहन प्रणालियों की अपेक्षा समुन्नत संचालन एवं रखरखाव लागत प्रदान करने के अलावा ये निम्न-गति मैग्लेव परा-उच्च स्तरीय संचालनीय विश्वसनीयता प्रदान करते हैं और घने शहरी स्थापनों में बहुत कम शोर और शून्य वायु प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
चूंकि मैग्लेव प्रणालियां दुनिया भर में कार्यरत हैं, विशेषज्ञों को उम्मीद है कि निर्माण लागत में कमी आएगी क्योंकि नई निर्माण विधियां काफी किफायती होने के साथ-साथ नवीन रूप लेकर प्रकट हुई हैं।
प्रमुख कीर्तिमान
[संपादित करें]- 1971 - पश्चिम जर्मनी - प्रिंज़िपफारज्यूग - 90 किमी प्रति घंटा
- 1971 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-02(टीएसएसटी) (TR-02(TSST)) - 164 किमी प्रति घंटा
- 1972 - जापान - एमएल100 (ML100) - 60 किमी प्रति घंटा - (मानवयुक्त)
- 1973 - पश्चिम जर्मनी - टीआर04 (TR04) - 250 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)
- 1974 - पश्चिम जर्मनी - ईईटी-01 (EET-01) - 230 किमी प्रति घंटा (मानवरहित)
- 1975 - पश्चिम जर्मनी - कोमेट (Komet) - 401.3 किमी प्रति घंटा (वाष्प रॉकेट प्रणोदन द्वारा, मानवरहित)
- 1978 - जापान - एचएसएसटी-01 (HSST-01) - 307.8 किमी प्रति घंटा (सहायक रॉकेट प्रणोदन द्वारा, निसान में निर्मित, मानवरहित)
- 1978 - जापान - एचएसएसटी-02 (HSST-02) - 110 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)
- 12-12-1979 - जापान - एमएल-500आर (ML-500R) - 504 किमी प्रति घंटा (मानवरहित) दुनिया में पहली बार इसने 500 किमी प्रति घंटा से अधिक गति पर संचालित होने में कामयाबी हासिल की।
- 21-12-1979 - जापान - एमएल-500आर (ML-500R) - 517 किमी प्रति घंटा (मानवरहित)
- 1987 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-06 (TR-06) - 406 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)
- 1987 - जापान - एमएलयू001 (MLU001) - 400.8 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)
- 1988 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-06 (TR-06) - 412.6 किमी प्रति घंटा
- 1989 - पश्चिम जर्मनी - टीआर-07 (TR-07) - 436 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)
- 1993 - जर्मनी - टीआर-07 (TR-07) - 450 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)
- 1994 - जापान - एमएलयू002एन (MLU002N) - 431 किमी प्रति घंटा (मानवरहित)
- 1997 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 531 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त)
- 1997 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 550 किमी प्रति घंटा (मानवरहित)
- 1999 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 548 किमी प्रति घंटा (मानवरहित)
- 1999 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 552 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त/पंचगठन). गिनीज़ प्राधिकरण.
- 2003 - चीन - ट्रांसरैपिड एसएमटी (Transrapid SMT) (जर्मनी में निर्मित) - 501.5 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त/त्रिगठन)
- 2003 - जापान - एमएलएक्स01 (MLX01) - 581 किमी प्रति घंटा (मानवयुक्त/त्रिगठन). गिनीज़ प्राधिकरण.[34]
वर्तमान मैग्लेव प्रणालियां
[संपादित करें]परीक्षण मार्ग
[संपादित करें]सैन डिएगो, संयुक्त राज्य अमेरिका
[संपादित करें]सैन डिएगो में जनरल एटोमिक्स का 120 मीटर लम्बा एक परीक्षण केंद्र है, जिसका इस्तेमाल लॉस एंजिलिस में यूनियन पैसिफिक के 8 किमी लम्बे फ्रेट शटल के आधार के रूप में किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी "निष्क्रिय" (या "स्थायी") है जिसे उत्तोलन या प्रणोदन के लिए विद्युत चुम्बकों की जरूरत नहीं है। जनरल एटोमिक्स को संघीय सरकार की ओर से अनुसंधान के वित्त पोषण के रूप में 90 मिलियन डॉलर प्राप्त हुआ है। वे उच्च गति यात्री सेवाओं के लिए भी अपनी प्रौद्योगिकी को लागू करने की ताक में हैं।[35]
एम्सलैंड, जर्मनी
[संपादित करें]एम्सलैंड में ट्रांसरैपिड (Transrapid) नामक एक जर्मन मैग्लेव कंपनी का एक परीक्षण मार्ग है जिसकी कुल लम्बाई 31.5 कि॰मी॰ (103,000 फीट) है। यह सिंगल ट्रैक लाइन डोर्पेन से लाथेन तक व्याप्त है जिसके प्रत्येक सिरे पर मोड़ पाश है। ट्रेन नियमित रूप से 420 किमी/घंटा (260 मील/घंटा) तक दौड़ती हैं। परीक्षण केंद्र का निर्माण कार्य 1980 में शुरू हुआ और 1984 में ख़त्म हुआ।
जेआर-मैग्लेव (JR-Maglev), जापान
[संपादित करें]जापान के यामानाशी प्रान्त में एक प्रदर्शन लाइन है जहां परीक्षण ट्रेन जेआर-मैग्लेव एमएलएक्स01 (JR-Maglev MLX01) 581 किलोमीटर प्रति घंटा (361 मील/घंटा) तक पहुंच गया है, जो किसी भी पहियायुक्त ट्रेन से थोड़ा तेज़ है (टीजीवी की दर्ज की गई वर्तमान गति 574.8 किलोमीटर प्रति घंटा (357.2 मील/घंटा) है). जापानी मैग्लेव पर आधारित एक वृत्तचित्र वीडियो यहां देख सकते हैं।
इन ट्रेनों में अतिचालक चुम्बकों का इस्तेमाल होता है जो एक अधिक अन्तराल और प्रतिकारक के तरह का विद्युत गतिबोधक निलंबन (ईडीएस/EDS) की अनुमति प्रदान करते हैं। इसकी तुलना में ट्रांसरैपिड में परंपरागत विद्युत चुम्बकों और आकर्षक के तरह का विद्युत चुम्बकीय निलंबन (ईएमएस/EMS) का इस्तेमाल होता है। सेन्ट्रल जापान रेलवे कंपनी (Central Japan Railway Company) (जेआर सेन्ट्रल) (JR Central) और कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज़ (Kawasaki Heavy Industries) द्वारा विकसित, ये "सुपरकंडक्टिंग मैग्लेव शिंकनसेन" वर्तमान में दुनिया के सबसे तेज़ ट्रेन हैं जिनकी 2 दिसम्बर 2003 को दर्ज की गई गति 581 किलोमीटर प्रति घंटा (361 मील/घंटा) थी।[36][37] यामानाशी प्रान्त के निवासी (और सरकारी अधिकारी) इसकी मुफ्त सवारी करने के लिए साइन अप कर सकते हैं और अब तक लगभग 100,000 लोगों ने ऐसा कर लिया है।
एफटीए (FTA) का यूएमटीडी (UMTD) कार्यक्रम
[संपादित करें]अमेरिका में, संघीय परिवहन प्रशासन (एफटीए/FTA) के शहरी मैग्लेव प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रम ने कई निम्न-गति शहरी मैग्लेव प्रदर्शन परियोजनाओं के डिज़ाइन को वित्तपोषित किया है। इसने मैरीलैंड परिवहन विभाग के लिए एचएसएसटी (HSST) और कोलोराडो परिवहन विभाग के लिए मैग्लेव प्रौद्योगिकी को निर्धारित किया गया है। एफटीए (FTA) ने नए मैग्लेव डिज़ाइनों को प्रदर्शित करने के लिए कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेन्सिल्वेनिया स्थित जनरल एटोमिक्स, मैग्नेमोशन एम3 (MagneMotion M3) और फ्लोरिडा अतिचालक ईडीएस (EDS) प्रणाली के मैग्लेव2000 (Maglev2000) के कार्य को भी वित्तपोषित किया। ध्यान देने योग्य अन्य अमेरिकी शहरी मैग्लेव प्रदर्शन परियोजनाएं - वॉशिंगटन राज्य में एलईवीएक्स (LEVX) और मैसाचुसेट्स आधारित मैग्प्लेन हैं।
साउथवेस्ट जियाओतोंग यूनिवर्सिटी, चीन
[संपादित करें]31 दिसम्बर 2000 को, चीन के चेंगदू के साउथवेस्ट जियाओतोंग यूनिवर्सिटी में प्रथम कर्मीदलयुक्त उच्च तापमान अतिचालक मैग्लेव का सफल परीक्षण किया गया। यह प्रणाली इस सिद्धांत पर आधारित है कि अत्यंत उच्च-तापमान अतिचालकों को एक स्थायी चुम्बक के ऊपर या नीचे स्थिरतापूर्वक उत्तोलित या निलंबित किया जा सकता है। भार 530 किग्रा (1166 पाउंड) से अधिक और उत्तोलन अंतराल 20 मिमी (0.79 इंच) से अधिक होता है। अतिचालक को ठंडा करने के लिए इस प्रणाली में तरल नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है जो बहुत सस्ता होता है।साँचा:Cite needed
सार्वजनिक सेवारत संचालन प्रणालियां
[संपादित करें]लिनिमो (टोबू क्युर्यो लाइन, जापान)
[संपादित करें]वाणिज्यिक स्वचालित "शहरी मैग्लेव" प्रणाली के संचालन की शुरुआत मार्च 2005 में जापान के आइची में हुई। यह नौ-स्टेशन वाली 8.9 किमी लम्बी टोबू-क्युर्यो लाइन है जिसका अन्य नाम लिनिमो है। इस लाइन का न्यूनतम संचालन त्रिज्या 75 मी और अधिकतम ढाल 6% है। रैखिक-मोटर चुंबकीय-उत्तोलित ट्रेन की शीर्ष गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा (62 मील/घंटा) है। यह लाइन स्थानीय समुदाय के साथ-साथ एक्सपो 2005 फेयर साइट को भी अपनी सेवा प्रदान करती है। इन ट्रेनों को चुबू एचएसएसटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने डिज़ाइन किया था, जो नागोया में एक परीक्षण मार्ग का भी संचालन करता है।[38]
शंघाई मैग्लेव ट्रेन
[संपादित करें]जर्मनी में, ट्रांसरैपिड ने डाउनटाउन शंघाई (शंघाई मेट्रो) से पुडोंग इंटरनैशनल एयरपोर्ट तक जाने वाले शंघाई मैग्लेव ट्रेन नामक दुनिया के सबसे पहले संचालनीय उच्च-गति पारंपरिक मैग्लेव रेलवे का निर्माण किया।[39] इसका उद्घाटन 2002 में किया गया। 30 किमी लम्बे एक शंघाई ट्रैक पर हासिल की गई अधिकतम गति 501 किमी प्रति घंटा (311 मील प्रति घंटा) है। गति के बावजूद, कुछ ठहराव लेने और एक संदिग्ध वाणिज्यिक सफलता की वजह से मैग्लेव की आलोचना की जाती है।[40] हांग्जो के लिए एक एक्सटेंशन के निर्माण को 2010 में पूरा करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन 350 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से चलने वाले एक पारंपरिक उच्च गति रेलवे के पक्ष में इस कार्य को स्थगित कर दिया गया। शंघाई नगरपालिका सरकार विद्युत चुम्बकीय प्रदूषण के प्रति लोगों के डर को दूर करने के लिए भूमिगत मैग्लेव लाइन एक्सटेंशन का निर्माण कर रही थी;[41] इसी तरह की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतिम निर्णय को राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग द्वारा अनुमोदित किया जाना है।
डेजन, कोरिया
[संपादित करें]जनता के लिए शुरू किया गया पहला विद्युत चुम्बकीय निलंबन प्रयुक्त पहला मैग्लेव एचएमएल-03 (HML-03) था, जिसका निर्माण ह्युंडाई हेवी इंडस्ट्रीज़ (Hyundai Heavy Industries) ने पांच वर्षों के अनुसंधान और दो प्रोटोटाइप - एचएमएल-01 (HML-01) एवं एचएमएल-02 (HML-02) के निर्माण के बाद 1993 में डेजन एक्सपो के लिए किया था।[42][43][44] 1994 में सरकार ने विद्युत चुम्बकीय निलंबन के इस्तेमाल वाले शहरी मैग्लेव के लिए अनुसंधान शुरू किया।[44] 14 वर्षों के विकास और एक प्रोटोटाइप - यूटीएम-01 (UTM-01) के निर्माण के बाद 21 अप्रैल 2008 को डेजन में यूटीएम-02 (UTM-02) नामक प्रथम शहरी मैग्लेव को जनता के लिए शुरू किया गया। यह शहरी मैग्लेव एक्सपो पार्क और नैशनल साइंस म्यूज़ियम के बीच 1 किमी लम्बे ट्रैक पर दौड़ता है।[45][46] इस बीच यूटीएम-02 (UTM-02) ने दुनिया के अब तक पहले मैग्लेव अनुकरण द्वारा आयोजित एक नवाचार पर आक्षेप किया।[47][48] हालांकि यूटीएम-02 (UTM-02) अभी भी एक अंतिम मॉडल का दूसरा प्रोटोटाइप है। रोटेम के शहरी मैग्लेव के अंतिम यूटीएम (UTM) मॉडल, यूटीएम-03 (UTM-03), को इनचान के योंगजोंग द्वीप में 2012 के अंत में शुरू करने के लिए अनुसूचित किया गया है जहां इनचान इंटरनैशनल एयरपोर्ट स्थित है।[49]
निर्माणाधीन
[संपादित करें]ओल्ड डोमिनियन यूनिवर्सिटी
[संपादित करें]संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्जीनिया के नॉरफोक के ओल्ड डोमिनियन यूनिवर्सिटी में एक मील से कम लम्बे एक ट्रैक का निर्माण किया गया है। हालांकि इस प्रणाली को शुरू में एएमटी (AMT) ने बनाया था, लेकिन कुछ समस्याओं की वजह से कंपनी को इस परियोजना को छोड़ देना पड़ा और इसे यूनिवर्सिटी को बेच देना पड़ा.[50][51] यह प्रणाली एक "स्मार्ट ट्रेन, डम्ब ट्रैक" का इस्तेमाल करती है जिसमें अधिकांश सेंसर, चुम्बक और कंप्यूटर ट्रैक के बजाय ट्रेन में लगे हुए हैं।[52] मौजूदा प्रणालियों की तुलना में इस प्रणाली के प्रति मील निर्माण की लागत कम होगी। वास्तव में योजनानुसार कार्य को पूरा करने के लिए 14 लाख डॉलर की अनुमति नहीं थी। वर्तमान में यह प्रणाली संचालनरत नहीं है, लेकिन अनुसंधान से यह उपयोगी साबित हुआ है। अक्टूबर 2006 में, अनुसंधान टीम ने सुगमतापूर्वक कार का एक अनिर्धारित परीक्षण किया। दुर्भाग्यवश, सम्पूर्ण प्रणाली को निकटवर्ती निर्माण के लिए बिजली ग्रिड से हटा दिया गया था।[53] फरवरी 2009 में, टीम ने स्लेड या बोगी का पुनर्परीक्षण किया और परिसर पर बिजली की कटौती के बावजूद एक बार फिर उन्हें इसमें कामयाबी मिली। गति और दूरी दोनों को बढ़ाते हुए परीक्षण होते रहेंगे. इस बीच, ओडीयू (ODU) ने अपने परिसर पर एक और मैग्लेव ट्रेन का परीक्षण करने के लिए मैसाचुसेट्स की एक कंपनी के साथ पार्टनरशिप किया है। उम्मीद है कि मैग्नेमोशन इंक. (MagneMotion Inc.) वर्ष 2010 के आरम्भ में परीक्षण के लिए परिसर में अपने प्रोटोटाइप मैग्लेव वाहन को प्रस्तुत करेगा जो लगभग वैन के आकार की है।[54]
एएमटी टेस्ट ट्रैक - पाउडर स्प्रिंग्स, जॉर्जिया
[संपादित करें]संयुक्त राज्य अमेरिका के जॉर्जिया के पाउडर स्प्रिंग्स में अमेरिकन मैग्लेव टेक्नोलॉजी, इंक. (American Maglev Technology, Inc) ने एक दूसरे प्रोटोटाइप सिस्टम के निर्माण में एक समान सिद्धांत को अंतर्भुक्त किया है।
अप्लाइड लेविटेशन/फास्ट्रांज़िट टेस्ट ट्रैक - सांता बारबरा, कैलिफोर्निया
[संपादित करें]अप्लाइड लेविटेशन, इंक. (Applied Levitation, Inc.) ने एक लघु इनडोर ट्रैक पर एक उत्तोलन प्रोटोटाइप का निर्माण किया है और अब सांता बारबरा के या उसके आसपास एक चौथाई-मील लम्बे स्विच युक्त आउटडोर ट्रैक के निर्माण की योजना बना रहा है।
प्रस्तावित प्रणालियां
[संपादित करें]उत्तर अमेरिका, एशिया और यूरोप के विभिन्न देशों में कई मैग्लेव प्रणालियों को प्रस्तावित किया गया है।[55] उनमें से कई अभी भी योजना के आरंभिक चरणों में हैं या ट्रांसअटलांटिक सुरंग की तरह केवल अटकलें बन कर रह गई हैं। लेकिन निम्नलिखित उदाहरणों में से कुछ ने उस हद के पार प्रगति की है।
आस्ट्रेलिया
[संपादित करें]सिडनी-इलवारा मैग्लेव प्रस्ताव
[संपादित करें]वर्तमान में सिडनी और वोलोंगोंग के बीच एक मैग्लेव मार्ग के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है।[56]
इस प्रस्ताव को 1990 के दशक के मध्य में प्रमुखता मिली। सिडनी - वोलोंगोंग कम्यूटर कॉरिडोर, ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा है, जिस पर प्रति दिन 20,000 से अधिक लोग काम के लिए इलवारा से सिडनी की यात्रा करते हैं। वर्तमान ट्रेन वोलोंगोंग स्टेशन और सेन्ट्रल के बीच दो और तीन घंटों के बीच की यात्रा समय के साथ, प्रशांत महासागर और इलवारा ढलान के टीले के मुख के बीच, दिनांकित इलवारा लाइन पर चलती हैं। प्रस्तावित मैग्लेव से यात्रा समय में 20 मिनट की कटौती होगी।
मेलबोर्न मैग्लेव प्रस्ताव
[संपादित करें]2008 के अंतिम दौर में, उपरोक्त भूपरिवहन विकल्पों की जांच की उपेक्षा करने वाले एडिंगटन ट्रांसपोर्ट रिपोर्ट के प्रतिक्रियास्वरूप ग्रेटर मेलबोर्न महानगरीय क्षेत्र को सेवा प्रदान करने के लिए निजी रूप से वित्तपोषित और संचालित मैग्लेव लाइन का निर्माण करने के लिए विक्टोरिया सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।[57][58] मैग्लेव 4 मिलियन से अधिक जनसंख्या को अपनी सेवा प्रदान करेगा और इस प्रस्ताव की लागत 8 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर थी।
हालांकि ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर निरंतर अत्यधिक भीड़ और प्रति व्यक्ति काफी सड़कस्थल होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने सड़क विस्तार के पक्ष में इस प्रस्ताव को तुरंत अस्वीकृत कर दिया, इस सड़क विस्तार में 8.5 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की लागत वाला सड़क सुरंग, 6 बिलियन डॉलर की लागत वाला वेस्टर्न रिंग रोड तक ईस्टलिंक का विस्तार और 700 मिलियन डॉलर की लागत वाले फ्रैंक्सटन बाईपास का निर्माण शामिल था।
ब्रिटेन
[संपादित करें]लंदन - ग्लासगो : हाल ही में ब्रिटेन में इंग्लैण्ड के मिडलैंड्स, नॉर्थवेस्ट एवं नॉर्थईस्ट से होकर गुजरने वाले मार्ग के कई विकल्पों वाले लन्दन से ग्लासगो तक एक मैग्लेव लाइन के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया था और इस प्रस्ताव के सरकार द्वारा अनुकूल विचाराधीन होने की खबर थी।[59] लेकिन 24 जुलाई 2007 को प्रकाशित गवर्नमेंट व्हाइट पेपर डिलीवरिंग ए सस्टेनेबल रेलवे में भावी योजना के लिए इस प्रौद्योगिकी को अस्वीकार कर दिया गया।[60] ग्लासगो और एडिनबर्ग के दरम्यान एक और उच्च गति लिंक के निर्माण की योजना बन रही है लेकिन इसके लिए कोई निर्धारित प्रौद्योगिकी नहीं है।[61][62][63]
ईरान
[संपादित करें]तेहरान और मशहद शहरों को जोड़ने के लिए मैग्लेव ट्रेनों के इस्तेमाल पर ईरान और एक जर्मन कंपनी ने एक समझौता किया। मशहद इंटरनैशनल फेयर साइट में ईरानी सड़क एवं परिवहन मंत्रालय और जर्मन कंपनी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया। मैग्लेव ट्रेन तेहरान और मशहद के बीच की दूरी की यात्रा करने में लगने वाले समय में से 900 किमी की यात्रा में लगने वाले समय को कम करके इस यात्रा को लगभग 2.5 घंटे में पूरा कर सकता है।[64] म्यूनिख स्थित श्लेगल कंसल्टिंग इंजीनियर्स ने कहा कि उन्होंने ईरानी परिवहन मंत्रालय और मशहद के राज्यपाल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था। एक प्रवक्ता ने कहा "हमें इस परियोजना में एक जर्मन संघ का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया है।" "हम एक प्रारंभिक चरण में हैं।" प्रवक्ता ने कहा कि एक संघ को इकट्ठा करना अगला कदम होगा, "आने वाले महीनों" में इस प्रक्रिया के होने की उम्मीद है। श्लेगल प्रवक्ता ने कहा, इस परियोजना का मूल्य 10 से 12 बिलियन यूरो के बीच हो सकता था। सीमेंस (Siemens) और थाइसेनक्रुप (ThyssenKrupp), एक उच्च गति मैग्लेव ट्रेन के डेवलपर्स, ने ट्रांसरैपिड (Transrapid) को बताया, दोनों ने कहा कि वे इस प्रस्ताव से अनजान थे। श्लेगल प्रवक्ता ने कहा कि सीमेंस और थाइसेनक्रुप वर्तमान में इस संघ में "शामिल नहीं" थे।[65]
जापान
[संपादित करें]टोकियो — नागोया — ओसाका चुओ शिंकनसेन बुलेट ट्रेन प्रणाली की योजना को देशव्यापी शिंकनसेन निर्माण कानून के आधार पर अंतिम रूप दिया गया। लाइनियर चुओ शिंकनसेन परियोजना का लक्ष्य सुपरकंडक्टिव मैग्नेटिकली लेविटेटेड ट्रेन के इस्तेमाल वाली इस योजना को समझना है, जो 500 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से लगभग एक घंटे में आइची की राजधानी, नागोया के रास्ते टोकियो और ओसाका को जोड़ती है।[66] अप्रैल 2007 में, जेआर सेन्ट्रल (JR Central) अध्यक्ष मासायुकी मात्सुमोतो ने कहा कि जेआर सेन्ट्रल का लक्ष्य वर्ष 2025 में टोकियो और नागोया के दरम्यान वाणिज्यिक मैग्लेव सेवा को शुरू करना है।[67]
वेनेज़ुएला
[संपादित करें]कराकास – ला ग्वाएरा : मुख्य बंदरगाह क़स्बा ला ग्वाएरा और सिमोन बोलिवर इंटरनैशनल एयरपोर्ट के साथ राजधानी शहर कराकास को जोड़ने वाले एक मैग्लेव ट्रेन (टीईएलएमएजीवी/TELMAGV) के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए कोई बजट नियत नहीं किया गया है, मार्ग का निर्धारण विचाराधीन है, यद्यपि छः से नौ किमी लम्बे एक मार्ग का सुझाव दिया गया है। प्रस्ताव के अनुसार शुरू में लगभग एक किमी लम्बे परीक्षण मार्ग के लिए एक पूर्ण आकार वाले प्रोटोटाइप ट्रेन का निर्माण किया जाएगा.
एक मैग्लेव प्रणाली की प्रस्ताव प्रस्तुति में, यांत्रिक इंजनों पर इसके संशोधित जीवन एवं प्रदर्शन के साथ-साथ पारंपरिक रेल पर संशोधनशील आराम, सुरक्षा, अर्थ व्यवस्था और पर्यावरणीय प्रभाव को महत्वपूर्ण कारकों के रूप में उद्धृत किया गया है।[68]
चीन
[संपादित करें]शंघाई – हांग्जो : चीन शुरू में शंघाई होंगकियो एयरपोर्ट तक लगभग 35 किमी तक और उसके बाद हांग्जो शहर तक 200 किमी तक मौजूदा शंघाई मैग्लेव ट्रेन[69] (शंघाई-हांग्जो मैग्लेव ट्रेन) का विस्तार करने की योजना बना रहा है। यदि यह बन गया, तो यह वाणिज्यिक सेवा प्रदान करने वाली पहली अंतर्शहरी मैग्लेव रेल लाइन होगी।
यह परियोजना विवादास्पद और बार-बार विलंबित होता रहा है। मैग्लेव प्रणाली से होने वाले विकिरण सम्बन्धी चिंताओं की वजह से मई 2007 में अधिकारियों ने इसे निलंबित कर दिया। [70] शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र, शोर, प्रदूषण एवं लाइनों के निकट संपत्ति के अवमूल्यन के जोखिम की वजह से बीमारी सम्बन्धी चिंताओं का हवाला देते हुए सैकड़ों निवासियों ने जनवरी और फरवरी 2008 में डाउनटाउन शंघाई में अपने-अपने घरों के बिल्कुल निकट बन रहे लाइन के खिलाफ प्रदर्शन किया।[71][72] लाइन को बनाने की अंतिम मंजूरी 18 अगस्त 2008 को दी गई। वास्तव में एक्सपो 2010[73] तक तैयार हो जाने के लिए अनुसूचित इस परियोजना को 2014 तक पूरा करने के लिए 2010 में इसका निर्माण कार्य शुरू करने की वर्तमान योजना बनाई गई है। शंघाई नगरपालिका सरकार ने विद्युत चुम्बकीय प्रदूषण के प्रति लोगों के डर को दूर करने के लिए भूमिगत लाइन के निर्माण समेत कई विकल्पों पर विचार किया है। इसी तरह की एक रिपोर्ट के अनुसार अंतिम निर्णय को राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग की अनुमति मिलना अभी बाकी है।[74]
चीन भी शहरी उपयोग के लिए निम्न-गति मैग्लेव ट्रेनों का उत्पादन करने के लिए नन्हुई जिले में एक फैक्टरी का निर्माण करना चाहता है।[75]
भारत
[संपादित करें]मुंबई – दिल्ली : एक अमेरिकी कंपनी ने भारत के रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के समक्ष एक मैग्लेव लाइन परियोजना का एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया। मंजूरी मिलने पर यह लाइन मुंबई और दिल्ली शहरों के बीच सेवा प्रदान करेगी, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि यह लाइन परियोजना सफल होती है तो भारत सरकार अन्य शहरों के बीच और मुंबई सेंटर एवं छत्रपति शिवाजी इंटरनैशनल एयरपोर्ट के बीच भी इन लाइनों का निर्माण करेगी। [76]
महाराष्ट्र राज्य ने भी मुंबई (भारत की वाणिज्यिक राजधानी के साथ-साथ राज्य सरकार की राजधानी) और नागपुर (राज्य की दूसरी राजधानी) के बीच लगभग 1000 किमी दूर एक मैग्लेव ट्रेन के लिए किए जाने वाले एक व्यवहार्यता अध्ययन को मंजूरी दे दी है। अहमदनगर, बीड, लातूर, नांदेड़ और यवतमाल से होते हुए विकासाधीन भीतरी प्रदेश से होते हुए नागपुर के साथ पुणे एवं मुंबई के विकसित क्षेत्र को जोड़ने की योजना है।[77]
संयुक्त राज्य अमेरिका
[संपादित करें]यूनियन पैसिफिक फ्रेट कन्वेयर : अमेरिकी रेल रोड ऑपरेटर यूनियन पैसिफिक अपने इंटरमॉडल कंटेनर ट्रांसफर फैसिलिटी के साथ लॉस एंजिलिस और लाँग बीच के बंदरगाहों के बीच 4.9 मील (8 किमी) लम्बे एक कंटेनर शटल का निर्माण करने की योजना बना रहा है। यह प्रणाली "निष्क्रिय" प्रौद्योगिकी पर आधारित होगी, जो विशेष रूप से माल स्थानांतरण के लिए काफी अनुकूल होगा, क्योंकि ऑन-बोर्ड कोई बिजली की जरूरत नहीं है, केवल इसके गंतव्य की तरफ बढ़ने वाला एक चेसिस ही काफी है। जनरल एटोमिक्स द्वारा इस प्रणाली को डिज़ाइन किया जा रहा है।[35]
सिएटल-वैंकूवर इंटरनैशनल मैग्लेव : सिएटल-वैंकूवर इंटरनैशनल मैग्लेव कॉरिडोर को आई-5 विस्तार योजना के भाग का विस्तार करने के लिए प्रस्तावित किया गया है, लेकिन अमेरिकी सरकार ने इसे सार्वजनिक कार्य परियोजनाओं से अलग रखने की हिदायत दी है जबकि कनाडा के संघीय और प्रांतीय नेताओं ने इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया है। हालांकि अभी तक किसी तरह की कोई वित्तीय सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त नहीं की गई है फिर भी आगे के अध्ययन का अनुरोध किया गया है। उच्च स्तरीय मौजूदा यातायात की वजह से इस क्षेत्र के लिए इसकी मांग की जा रही है।
कैलिफोर्निया-नेवादा इंटरस्टेट मैग्लेव : कैलिफोर्निया-नेवादा इंटरस्टेट मैग्लेव प्रोजेक्ट के माध्यम से दक्षिणी कैलिफोर्निया और लास वेगास के प्रमुख शहरों के बीच उच्च-गति वाली मैग्लेव लाइनों पर भी विचार किया जा रहा है।[78] इस योजना को वास्तव में एक आई-5 या आई-15 विस्तार योजना का हिस्सा होने की सम्भावना थी लेकिन संघीय सरकार ने इसे अंतर्राज्यिक सार्वजनिक कार्य परियोजनाओं से अलग रखने की हिदायत दी है।
संघीय सरकार के फैसले के बाद से, नेवादा के निजी समूहों ने नेवादा के प्रिम में, कैलिफोर्निया के बेकर में और लॉस एंजिलिस के सैन बर्नार्डिनो काउंटी के सभी स्थानों में ठहराव लेते हुए लास वेगास से लॉस एंजिलिस जाने वाली एक लाइन के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। दक्षिणी कैलिफोर्निया के राजनेताओं ने इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया है; कई लोगों को इस बात की चिंता है कि राज्य के बाहर एक उच्च गति रेल लाइन के निर्माण में कई डॉलर लगेंगे जिसे नेवादा के लिए राज्य "एक तेल पर" में खर्च किया जाएगा.
बाल्टीमोर-वॉशिंगटन डी.सी. मैग्लेव : बाल्टीमोर में कैमडेन यार्ड्स और बाल्टीमोर-वॉसिंग्तन इंटरनैशनल (बीडब्ल्यूआई/BWI) एयरपोर्ट को डी.सी. के वॉशिंगटन में यूनियन स्टेशन को जोड़ने के लिए एक 39.75 मील (64 किमी) परयोजना को प्रस्तावित किया गया है।[79] कहा जाता है कि वर्तमान यातायात/भीड़-भाड़ की समस्याओं की वजह से इस क्षेत्र के लिए इसकी काफी मांग है।
पेंसिल्वेनिया प्रोजेक्ट : पेंसिल्वेनिया हाई-स्पीड मैग्लेव प्रोजेक्ट कॉरिडोर का विस्तार पिट्सबर्ग इंटरनैशनल एयरपोर्ट से ग्रीन्सबर्ग तक है और साथ में इसमें डाउनटाउन पिट्सबर्ग और मोनरोविल में मध्यवर्ती ठहराव है। यह आरंभिक परियोजना पिट्सबर्ग महानगरीय क्षेत्र में लगभग 2.4 मिलियन लोगों की एक जनसंख्या की सेवा करेगा। 90 मिलियन डॉलर के एक संघीय अनुदान के लिए बाल्टीमोर प्रस्ताव पिट्सबर्ग प्रस्ताव के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। इस परियोजन का उद्देश्य यह देखना है कि क्या मैग्लेव प्रणाली एक अमेरिकी शहरी वातावरण में सही तरह से कार्य कर सकती है।[80]
सैन डिएगो-इम्पीरियल काउंटी एयरपोर्ट : 2006 में सैन डिएगो ने इम्पीरियल काउंटी में स्थित एक प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिए एक मैग्लेव लाइन के लिए एक अध्ययन की शुरुआत की। सैन्डैग (SANDAG) का कहना है कि यह एक "टर्मिनल रहित एयरपोर्ट" वाली अवधारणा होगी, जो यात्रियों को सैन डिएगो में एक टर्मिनल ("सैटेलाईट टर्मिनल") में प्रवेश करने की अनुमति प्रदान करेगा और मैग्लेव को इम्पीरियल एयरपोर्ट तक ले जाएगा और वहां हवाई जहाज पर सवार होगा मानो वे इम्पीरियल स्थान में सीधे टर्मिनल के माध्यम से गए हों. इसके अलावा, मैग्लेव में उच्च प्राथमिकता वाले माल ले जाने की क्षमता होगी। आगे के अध्ययन का अनुरोध किया गया है लेकिन अब तक इसके वित्तपोषण पर सहमति नहीं बन पाई है।[81]
अटलांटा – चट्टानूगा : प्रस्तावित मैग्लेव मार्ग हार्ट्सफील्ड-जैक्सन अटलांटा इंटरनैशनल एयरपोर्ट से शुरू होकर अटलांटा से होते हुए अटलांटा के उत्तरी उपनगरों तक जाएगी और शायद टेनेसी के चट्टानूगा तक भी इसका विस्तार हो सकता है। यदि यह बन गया, तो यह मैग्लेव लाइन अटलांटा की वर्तमान उपमार्ग प्रणाली, मेट्रोपोलिटन अटलांटा रैपिड ट्रांज़िट ऑथोरिटी (मार्टा/MARTA), की प्रतिद्वंद्वी बन जाएगी, जिसकी रेल प्रणाली में डाउनटाउन अटलांटा से हार्ट्सफील्ड-जैक्सन एयरपोर्ट तक जाने वाली एक प्रमुख शाखा शामिल है।[82]
जर्मनी
[संपादित करें]25 सितम्बर 2007 को बवेरिया ने घोषणा की वह म्यूनिख शहर से अपने एयरपोर्ट तक उच्च-गति मैग्लेव-रेल सेवा का निर्माण करेगा। बवेरियाई सरकार ने 1.85 बिलियन यूरो वाली परियोजना के लिए सीमेंस (Siemens) और थाइसेनक्रुप (ThyssenKrupp) के साथ ड्यूश बॉन (Deutsche Bahn) और ट्रांसरैपिड (Transrapid) के साथ अनुबंधों पर हस्ताक्षर किया।[83]
27 मार्च 2008 को, जर्मन परिवहन मंत्री ने घोषणा की कि ट्रैक के निर्माण की लागत में उत्तरोत्तर होती वृद्धि की वजह से इस परियोजना को रद्द कर दिया गया है। एक नए अनुमान के अनुसार इस परियोजना की लागत 3.2 से 3.4 बिलियन यूरो के बीच होगी। [84]
इंडोनेशिया
[संपादित करें]जकार्ता और सुरबाया के बीच 683 किमी लम्बी एक मैग्लेव रेल सेवा बनाने की योजना है। इस मैग्लेव में सेमारंग सहित 7 स्टेशन होंगे। एसएनसीएफ (SNCF) के साथ कार्यरत पीटी मैग्लेव इंडोनेशिया (PT Maglev Indonesia), ट्रांसरैपिड ड्यूशलैंड (Transrapid Deutschland) और अन्य कॉर्पोरेशन वर्ष 2010 के आसपास इसका निर्माण शुरू करेंगे।
महत्वपूर्ण घटनाएं
[संपादित करें]दो घटनाएं घटी हैं जिनमें आग लगने वाली घटनाएं भी शामिल हैं। मियाज़ाकी में जापानी परीक्षण ट्रेन, एमएलयू002 (MLU002), 1991 में आग में जलकर पूरी तरह से भस्म हो गया।[85] आग के परिणामस्वरूप, जापान की राजनीतिक विपक्ष ने दावा किया कि मैग्लेव जनता के पैसे की बर्बादी है। 11 अगस्त 2006 को, लोंगयांग में टर्मिनल को छोड़ने के तुरंत बाद शंघाई वाणिज्यिक ट्रांसरैपिड में आग लग गई[86] जिसमें कोई व्यक्ति घायल नहीं हुआ था। ऐसा माना जाता है कि मैग्लेव की विद्युतीय प्रणाली की कुछ गड़बड़ी की वजह से यह आग लगी थी,[87] इसमें एक ऑनबोर्ड बैटरी यूनिट रखने का सुझाव दिया गया है।[88]
22 सितम्बर 2006 को लाथेन (लोअर सैक्सनी / उत्तर-पश्चिमी जर्मनी) में एक परीक्षण/प्रचार संचालन में एक रखरखाव वाहन के साथ एक ट्रांसरैपिड ट्रेन की टक्कर हो गई।[89][90] इसमें तेईस लोग मारे गए और दस घायल हुए; एक मैग्लेव प्रणाली की दुर्घटना से होने वाला यह पहला घटक परिणाम था। यह दुर्घटना मानव त्रुटि की वजह से हुई थी, एक साल की लम्बी जांच-पड़ताल के बाद ट्रांसरैपिड के तीन कर्मचारियों को दोषी पाया गया।[91]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- चुम्बकीय प्रोत्थापन (मैग्नेटिक लेविटेशन)
- भू प्रभाव ट्रेन
- रेल वाहनों के लिए भू गति रिकॉर्ड
- प्रक्षेपण पाश एक ऐसा मैग्लेव सिस्टम होगा जो कक्ष का प्रक्षेपण करेगा या वेग का निस्तारण करेगा
- जन चालक
- नागाहोरी सुरुमी-रियोकुची लाइन
- ओलेग टोजोनी एक प्रकाशित गैर रैखिक स्थिर मैग्लेव प्रणाली पर काम कर रहे हैं
- रेलवे
- स्काईट्रेन (वैंकूवर)
- स्टारट्राम - एक मैग्लेव प्रक्षेपण प्रणाली
- ट्रैक्ड होवरक्राफ्ट
नोट
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आगे पढ़ें
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बाहरी कड़ियाँ
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- मुक्त निर्देशिका परियोजना पर Magnetic Levitation
- एम्लेव एमडीएस सिस्टम
- परिवहन के लिए चुम्बकीय उत्तोलन
- ब्राजील की मैग्लेव परियोजना का समाचार (पुर्तगाली में)
- मैग्लेव ट्रेन[मृत कड़ियाँ] नैशनल हाई मैग्नेटिक फील्ड लैबोरेटरी से प्राप्त ऑडियो स्लाइड शो में चुम्बकीय उत्तोलन, मेसनर प्रभाव, चुम्बकीय प्रवाह फंसाव एवं अतिचालकता पर चर्चा की गई है