प्रागनुभविक और अनुभवाश्रित
प्रागनुभविक या अनुभवनिरपेक्ष (A priori, "पहले वाले से") और अनुभवसापेक्ष, अनुभवाश्रित (A posteriori, "बाद वाले से") लैटिन वाक्यांश के हिंदी समानार्थी हैं जिनका उपयोग दर्शनशास्त्र में अनुभव पर निर्भरता के आधार पर ज्ञान, औचित्य (justification) या तर्कयुक्ति (argument) के प्रकारों को अलग करने के लिए किया जाता है। प्रागनुभविक ज्ञान किसी अनुभव के स्वतंत्र है। उदाहरणों में गणित, पुनरूक्ति (tautology), और शुद्ध तर्कबुद्धि (pure reason) से निगमन शामिल है । अनुभवाश्रित ज्ञान, अनुभवजन्य साक्ष्य पर आधरित है। उदाहरणों में विज्ञान के अधिकांश क्षेत्र और व्यक्तिगत ज्ञान के पहलू शामिल हैं।
ये शब्द अरस्तू के कार्यों के संग्रह ऑर्गेनॉन में पाए गए विश्लेषणात्मक विधियों से उत्पन्न हुए हैं। Prior analytics ("पूर्ववर्त्ती विश्लेषण", प्रागनुभविक ) निगमनात्मक तर्क के बारे में है, जो परिभाषाओं और प्रथम सिद्धांतों (मूलनियम) से आता है। Posterior analytics ("पश्च विश्लेषण", अनुभवाश्रित) आगमनात्मक तर्क के बारे में है, जो अवलोकन संबंधी साक्ष्य से आता है।
दोनों शब्द यूक्लिड के एलिमेंट्स में दिखाई देते हैं और इमैनुएल कांट के "शुद्ध तर्कबुद्धि की आलोचना " द्वारा लोकप्रिय हुए, जो दर्शन के इतिहास में एक प्रभावशाली कार्य है। [1] दोनों शब्दों को मुख्य रूप से संज्ञा "ज्ञान" (यानी "प्रागनुभविक ज्ञान") के आपरीवर्तक के रूप में उपयोग किया जाता है। प्रागनुभविक को दूसरे संज्ञाओं जैसे कि "सत्य" का आपरिवर्तन करने उपयोग किया जा सकता है। दार्शनिक प्रागनुभविकता और प्रागनुभविकत्व का उपयोग प्रागनुभविक होने की गुणवत्ता का संदर्भ देने वाले संज्ञा के रूप में कर सकते हैं। . [2]
- ↑ Bird 1995, पृ॰ 439.
- ↑ Kitcher 2001