बिमलकृष्ण मतिलाल
व्यक्तिगत जानकारी | |
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जन्म | 1 जून 1935 जयनगर, कोलकाता, जो अब दक्षिण २४ परगना में आता है। |
मृत्यु | 8 जून 1991 (56 वर्ष की आयु में) ऑक्सफोर्ड, इंगलैण्ड |
वृत्तिक जानकारी | |
मुख्य कृतीयाँ | भारतीय दर्शन की पत्रिका (Journal of Indian Philosophy) के संस्थापक सम्पादक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | संस्कृत, गणित और तर्कशास्त्र |
बिमलकृष्ण मातिलाल (१९३५ - १९९१) भारत के एक दार्शनिक थे जिनकी कृतियों में इस बात का खुलासा किया गया है कि भारतीय दार्शनिक परम्परा भी उन्हीं मुद्दों पर केन्द्रित है जिन पर आधुनिक यूरोपीय दर्शन विचार करता है। उनको भारत सरकार द्वारा सन १९९० में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। सन् १९७७ से १९९१ तक वे आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पूर्वात्य धर्म एवं नीतिशास्त्र के प्राध्यापक (Spalding Professor) रहे।
शिक्षा
[संपादित करें]शैशवकाल से ही संस्कृत भाषा में शिक्षित मतिलाल गणित एवं तर्क की दिशा में आकृष्ट हुए। उन्होंने संस्कृत कॉलेज के शीर्षस्थ पण्डितों से परम्परागत भारतीय दार्शनिक व्यवस्था में प्रशिक्षण प्राप्त किया था। बाद में वे स्वयं ही १९५७ से १९६२ तक वहीं शिक्षण कार्य किया। उन्होंने पण्डित तारानाथ तर्कतीर्थ एवं कालीपद तर्काचार्य जैसे पण्डितों से शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने पण्डित अनन्त कुमार न्यायतर्कर्तीर्थ, मधुसूदन न्यायाचार्य एवं विश्वबन्धु तर्कतीर्थ के साथ भी तर्कवितर्क करते रहे थे। १९६२ में उनको तर्कतीर्थ की उपाधि प्रदान की गयी।
१९५७ से १९६२ तक संस्कृत कालेज में शिक्षण करते समय मातिलाल डेनियल इनगालस के सम्पर्क में आये जो हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पदस्थ एक भारतविद थे। मतिलाल फुलब्राइट फेलोशिप प्राप्त करके १९६२ से १९६५ तक इनगालस के अधीन नव्य न्याय के अस्वीकृति मतबाद को लेकर पीएचडी किये। 1977 में वे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में नीतिशास्त्र के प्राध्यापक चुने गये।
८ जून १९९१ को कैंसर से उनका निधन हुआ।
कृतियाँ
[संपादित करें]- बिमल कृष्ण मतिलाल (1971). एपिटेमोलजि, लाजिक ऐण्ड ग्रामार इन इन्डियन फिलासफिकल एनालिसिस. De Gruyter. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789997821942.[1][2]
- बिमल कृष्ण मतिलाल (1985). लाजिक, लैंग्वेज ऐण्ड रियालिटी : ऐन इन्ट्रोडक्क्शन टू इण्डियन फिलासफिकल स्टडीज. Motilal Banarsidass. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-0008-3.[3]
- बिमल कृष्ण मतिलाल (1985). Perception: An Essay on Classical Indian Theories of Knowledge. Clarendon.[4]
- Logical and Ethical Issues: An essay on the Indian Philosophy of Religion, Calcutta University 1982 (repr. Chronicle Books, Delhi 2004)
- Navya Nyâya Doctrine of Negation, Harvard Oriental Series 46, 1968
- बिमल कृष्ण मतिलाल (1990). The Word and the World: India's contribution to the study of language. Oxford University Press.[5]
- बिमल कृष्ण मतिलाल (1999). The Character of Logic in India. Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-564896-6.[6][7][8][9]
- नीति, यूक्ति ओ धर्म, (बांग्ला में), आनन्द प्रकाशक कोलकाता 1988.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- A conference honouring Matilal was organized in Jadavpur University in January 2007.
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- ↑ Berg, Jan (December 1975). "Epistemology, Logic, and Grammar in Indian Philosophical Analysis by Bimal Krishna Matilal". The Journal of Symbolic Logic. 40 (4): 578–579. JSTOR 2271783. डीओआइ:10.2307/2271783.
- ↑ Rocher, Rosane (April–June 1975). "Epistemology, Logic, and Grammar in Indian Philosophical Analysis by Bimal K. Matilal". Journal of the American Oriental Society. 95 (2): 331–332. JSTOR 600381. डीओआइ:10.2307/600381.
- ↑ Sen, Pranab Kumar (January 1989). "Logic, Language and Reality by Bimal Krishna Matilal". Mind. New Series. 98 (389): 150–154. JSTOR 2255069. डीओआइ:10.1093/mind/XCVIII.389.150.
- ↑ Trotignon, Pierre (April–June 1988). "Perception: An Essay on Classical Indian Theories of Knowledge by Bimal Krishna Matilal". Revue Philosophique de la France et de l'Étranger. Apologétique, temporalité, monde sensible. 178 (2): 216–217. JSTOR 41095766.
- ↑ Jha, V. N. (1995). "The Word and the World (India's Contribution to the Study of Language) by Bimal Krishna Matilal". Annals of the Bhandarkar Oriental Research Institute. 76 (1/4): 172–173. JSTOR 41694389.
- ↑ Gerow, Edwin (Feb 2000). "The Character of Logic in India by Bimal Krishna Matilal; Jonardon Ganeri; Heeraman Tiwari". The Journal of Asian Studies. 59 (1): 203–205. JSTOR 2658637. S2CID 170622156. डीओआइ:10.2307/2658637.
- ↑ Werner, Karel (1999). "The Character of Logic in India by Bimal Krishna Matilal; Jonardon Ganeri; Heeraman Tiwari". Bulletin of the School of Oriental and African Studies, University of London. 62 (1): 155. JSTOR 3107426. डीओआइ:10.1017/s0041977x00017924.
- ↑ Barnhart, Michael G. (October 2001). "The Character of Logic in India by Bimal Krishna Matilal; Jonardon Ganeri; Heeraman Tiwari". Philosophy East and West. Nondualism, Liberation, and Language: The Infinity Foundation Lectures at Hawai'i, 1997-2000. 51 (4): 556–559. JSTOR 1400170. S2CID 144679476. डीओआइ:10.1353/pew.2001.0051.
- ↑ Taber, John A. (October–December 2001). "The Character of Logic in India by Bimal Krishna Matilal; Jonardon Ganeri; Heeraman Tiwari". Journal of the American Oriental Society. 121 (4): 681–683. JSTOR 606527. डीओआइ:10.2307/606527.