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भारत का जैवभौगोलिक वर्गीकरण

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भारत का जैवभौगोलिक वर्गीकरण के अंतर्गत भारत की जैव भौगोलिक विशेषताओं का वर्गीकरण किया गया है। जैव भूगोल प्रजातियों (जैविकी), जीवों, भौगोलिक जगत के पारिस्थितिक तंत्र के वितरण का अध्ययन है। भारत विश्व के शीर्ष 17 बड़े-विविध देशों में एशिया में चौथे तथा विश्व में दसवें स्थान पर है।[1] भारत विश्व की लगभग 11% फ़ूलों की विविधता को प्रश्रय देता है। इनमें 17,500 से अधिक प्रलेखित फूलों के पौधे, 6,200 स्थानिक प्रजातियाँ, 7,500 औषधीय पौधे तथा विश्व स्तर पर 246 संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं।[2] भारत चार जैव विविधता हॉटस्पॉट जैसे - अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पूर्वी हिमालय, भारत-बर्मा क्षेत्र और पश्चिमी घाटों का भी घर है इसलिए भारत की प्राकृतिक विरासत का जैवभौगोलिक अध्ययन महत्वपूर्ण है।

भारत के वनों को वर्गीकृत करने की पहल 1936 में चैंपियन नामक विद्वान द्वारा की गई थी जिसे 1968 में सेठ नामक विद्वान ने संशोधित किया था।[3] इसके बाद भारत के जैव-भूगोल पर 1974 में एम.एस. मणि द्वारा अग्रणी कार्य किया गया।[4] अलग-अलग मापदंडों के आधार पर अनेकों योजनाएँ वैश्विक योजनाओं के हिस्से के रूप में भारत को जैवभौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित करती हैं जैसे- वैश्विक स्तर पर प्रकृति के लिए धन जुटाने की 'ग्लोबल 200' योजना। भारतीय वन्यजीव संस्थान के रोजर्स और पंवार ने 1988 में भारत के लिए एक संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क की योजना बनाते समय भारत को भौगोलिक रूप से विभाजित करने की योजना की रूपरेखा बनाई।

भारत के जैव क्षेत्र

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भारत में 11 प्रकार के जैव क्षेत्र पाए जाते हैं:

इंडोमलाई जैव-भूक्षेत्र

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  1. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय नम चौड़ी पत्ती वाले वन
  2. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय शुष्क चौड़ी पत्ती वाले वन
  3. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय शंकुधारी वन
  4. समशीतोष्ण चौड़ी पत्ती और मिश्रित वन
  5. समशीतोष्ण शंकुधारी वन
  6. उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय घास के मैदान, सवाना और झाड़ियाँ
  7. बाढ़ वाले घास के मैदान और सवाना
  8. कच्छ वनस्पति
  9. रेगिस्तान और ज़ेरिक झाड़ियाँ

पेलिआर्कटिक जैव-भूक्षेत्र

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  1. समशीतोष्ण शंकुधारी वन
  2. पर्वतीय घास के मैदान और झाड़ियाँ

सन्दर्भ

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  1. कुमार, एन.के., रघुनाथ, टी.पी., जयाराज, आर.एस.सी., आनंदालक्षमी, आर., वॉरियर, आर.आर., संपादक, "स्टेट ऑफ़ फॉरेस्ट जैनेटिक रिसोर्सेज़ इन इंडिया: ए कंट्री रिपोर्ट", इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट जेनेटिक्स एंड ट्री ब्रीडिंग, भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद्, कोयंबटूर, 2012
  2. स्तालिन ए, निथनियाल (2016). "1. परिचय". डीएनए बारकोडिंग ऑफ़ ट्रीज़ एण्ड मेडिसिनल प्लांट्स ऑक्योरिंग इन ट्रॉपिकल ड्राई एवरग्रीन फ़ॉरेस्ट ऑफ़ इंडिया (पीएचडी thesis). एसआरएम यूनिवर्सिटी, कट्टनकुलथुर, चेन्नई. https://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/176126/4/chapter%201.pdf. 
  3. चैंपियन, हैरी जी.; सेठ, एस. के. (1968). ए रिवाइज़्ड सर्वे ऑफ़ द फ़ॉरेस्ट टाइप्स ऑफ़ इंडिया. नई दिल्ली: मैनेजर ऑफ़ पब्लिकेशंस, भारत सरकार.
  4. एम. एस. मणि (1974). इकोलॉजी एंड बायोज्योग्राफ़ी इन इंडिया. मोनोग्राफ़िया बोयोलोजिकिया (सं. जे. इलियस). 23. द हैग: डॉ. डब्लू. जंक बी.वी. डीओआइ:10.1002/iroh.3510610524.