सायबर युद्ध
सायबर युद्ध (अंग्रेज़ी:साइबर वॉर) एक ऐसा युद्ध होता है जो इंटरनेट और कंप्यूटरों के माध्यम से लड़ा जाता है यानी इसमें भौतिक के स्थान पर कंप्यूटरों होते हैं। अनेक देश लगातार साइबर युद्ध अभ्यास (वॉर ड्रिल्स) चलाते हैं जिससे वह किसी भी संभावित साइबर हमले के लिए तैयार रहते हैं। तकनीक पर लगातार बढ़ती जा रही है निर्भरता के कारण कई देशों को साइबर हमलों की चिंता भी होने लगी है। इस कारण अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भारी खतरा बढ़ता जा रहा है।[1] साइबर वॉर में तकनीकी तरीकों से हमले किए जाते हैं।[2] ऐसे कुछ हमलों में एकदम पारंपरिक विधियां प्रयोग की जाती हैं, जैसे कंप्यूटर से जासूसी आदि। इन हमलों में वायरसों की सहायता से वेबसाइटें ठप कर दी जाती हैं और सरकार एवं उद्योग जगत को पंगु करने का प्रयास किया जाता है। इस युद्ध से बचाव हेतु कई देशों जैसे चीन ने वेबसाइट्स को ब्लाक करने, साइबर कैफों में गश्त लगाने, मोबाइल फोन के प्रयोग पर निगरानी रखने और इंटरनेट गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हजारों की संख्या में साइबर पुलिस तैनात कर रखी है।[1]
साइबर वॉर में तकनीकी उपकरणों और अवसंरचना को भी भारी हानि होती है। एक कुशल साइबर योद्धा किसी भी देश की अत्यधिक गोपनीय सैन्य और अन्य जानकारियां प्राप्त कर सकता है। युद्ध के अन्य पारंपरिक तरीकों की तरह ही साइबर वॉर में किसी भी देश को अनेक रक्षात्मक विधियां और प्रत्युत्तर हमले के तरीके तैयार रखने पड़ते हैं, ताकि वह साइबर हमले की स्थिति में उसका तुरंत जवाब दे सके।[2] हथियारों की दौड़ के कारण अभी तक दुनिया भर के देशों में साइबर सुरक्षा के संबंध में व्यय सीमित ही किया जाता है। सरकारें अक्सर इसके लिए जन-साधारण में से साइबर विशेषज्ञों पर निर्भर रहती हैं। यही लोग साइबर सुरक्षा प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। वैसे इन योद्धाओं के लिए यह युद्ध पारंपरिक युद्ध से अधिक सुरक्षित है क्योंकि इसमें योद्धा एक सुरक्षित स्थान पर बैठा रहता है। साइबर योद्धा विश्व के अनेक भागो में उपस्थित रहते हैं और वह सरकारों के निर्देशानुसार कंप्यूटर सिस्टमों में किसी भी किस्म की घुसपैठ पर नजर रखते हैं। कई देशों में साइबर सुरक्षा एक विशेषज्ञ कोर्स की तरह कराया जाता है जिसके बाद व्यक्ति साइबर योद्धा के तौर पर कार्य कर सकता है। अमरीका के अनुसार उसे साइबर युद्ध का सबसे बड़ा खतरा है।[3] वहां के नेशनल इंटेलीजेंस के पूर्व निदेशक जॉन माइकल मैक्कोलेन के अनुसा आज यदि साइबर युद्ध छिड़ जाए तो अमेरिका उसमें हार जाएगा और भारत एवं चीन इस क्षेत्र में अमेरिका को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।[4] सायबर युद्ध के लिये सबसे बड़ी तैयारी चीन की मानी जाती है।[5]
विभिन्न प्रकार के सायबर-आक्रमण
[संपादित करें]सायबर युद्ध में 'आक्रमण' कई तरह के हो सकते हैं। नीचे कुछ प्रकार के आक्रमणों की सूची दी गयी है (कम खतरनाक से अधिक खतरनाक के क्रम में)
- हैकिंग(Vandalism)
- कमाण्ड एवं कन्ट्रोल युद्ध (C2W)
- आंकड़ा संग्रह (डेटा कलेक्शन)
- प्रोग्रामिंग नष्ट करना (Programming Destruction)
- महत्वपूर्ण अधोसंरचनाओं पर आक्रमण
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ कंप्यूटर से विध्वंस Archived 2010-02-23 at the वेबैक मशीन। याहू जागरण। १९ फ़रवरी २०१०। मुकुल व्यास
- ↑ अ आ साइबर वॉर Archived 2010-05-07 at the वेबैक मशीन। हिन्दुस्तान लाइव। २९ अप्रैल २०१०
- ↑ साइबर युद्ध में हार जाएगा अमरीका । पत्रिका।
- ↑ साइबर युद्ध में हार जाएगा अमेरिका! Archived 2010-02-27 at the वेबैक मशीन। हिन्दुस्तान लाइव। २४ फ़रवरी २०१०। वाशिंगटन, एजेंसी
- ↑ गूगल के रुख चीन के बारे में एक चेतावनी भी Archived 2016-03-04 at the वेबैक मशीन। अरुण श्रॉफ। १३ जनवरी २०१०
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें] The Information Age पर द इन्फ़ॉर्मेशन एज से सम्बन्धित एक पेज है। |
- मारकाट की जरूरत क्या है, साइबर युद्ध है ना! (बालेन्दु शर्मा दाधीच)
- Will There Be An Electronic Pearl Harbor, PC World by Ira Winkler, Dec 1 2009
- How to Spot a Corporate Spy[मृत कड़ियाँ], Computer World, Feb 6 2009
- US China Security and Review Commission, 2009 annual report Chapter 2 on China's activities impacting US security interests
- Senate panel: 80 percent of cyberattacks preventable, Wired, Nov 17 2009
- Consumer Reports Online Security Guide
- Fox News: Updated Cybersecurity information
- Cyberwarfare reference materials
- Infowar Monitor
- Cyber, War and Law
- DigitalStakeout: Enterprise Cyber Intelligence Provider
- सूचना युद्ध नीतियां
- सायबर अपराध एवं युद्धनीतियां