हिन्दू धर्म में गौतम बुद्ध
बुद्ध का उल्लेख सभी प्रमुख पुराणों तथा सभी महत्वपूर्ण हिन्दू ग्रन्थों में हुआ है। नीचे उन कुछ पुराणों में बुद्ध के उल्लेख का सन्दर्भ दिया गया है-
- हरिवंश पर्व (1.41)
- विष्णु पुराण (3.18)
- भागवत पुराण (1.3.24, 2.7.37, 11.4.23)
- गरुड़ पुराण (1.1, 2.30.37, 3.15.26)
- अग्निपुराण (16)
- नारदीय पुराण (2.72)
- लिंगपुराण (2.71)
- पद्म पुराण (3.252)
इन ग्रन्थों में मुख्यतः बुद्ध की भूमिकाओं का वर्णन है- पुराण में यह कहा गया है कि बली प्रथा को बंद करने और दैत्यों को मोहित करने के लिए जन्म लिया था।
मोहनार्थं दानवानां बालरूपं पथि स्थितम् । पुत्रं तं कल्पयामास मूढबुद्धिर्जिनः स्वयम् ॥ ततः सम्मोहयामास जिनाद्यानसुरांशकान् । भगवान् वाग्भिरुग्राभिरहिंसावाचिभिर्हरिः॥[1]
(ब्रह्माण्ड पुराण अध्याय 13)
हिन्दी अनुवाद - दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया।
बाहरी विवरण
[संपादित करें]शान्तात्मा लम्बकर्णश्च गौराङ्गश्चाम्बरावृतः। ऊर्ध्वपद्मस्थितो बुद्धो वरदाभयदायकः ॥[2][3]
(अग्निपुराण अध्याय 49, श्लोक 8)
हिंदी अनुवाद- वो विष्णु अवतार भगवान बुद्ध शांत व्यक्तित्व, लंबे कान, गोरा शरीर, कपड़े पहने हुए, ऊपर की ओर खिले हुए कमल पर बैठे, अभय मुद्रा में बुद्ध और वरद अभय को देते हुवे विराजित है।
काषायवस्रसंवीतो मुण्डितः शुक्लदन्तवान्।शुद्धोदनसुतो बुद्धो मोहयिष्यामि मानवान् ।।[4](महाभारत: शांतिपर्व:अध्याय-348 श्लोक 43 )
हिन्दी अनुवाद - वह हल्के पीले वस्त्र पहनेंगे। उन्हें राजा शुद्धोधन के पुत्र बुद्ध के रूप में होगा, जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देंगे।
उत्पति निर्णय
[संपादित करें]रक्ष रक्षेति शरणं वदन्तो जग्मुरीश्वरम् मायामोहस्वरूपोऽसौ शुद्धोदनसुतोऽभवत् ॥ मोहयामास दैत्यांस्तांस्त्याजिता वेदधर्मकम् । ते च बौद्धाबभूवुर्हि तेभ्योऽन्यो वेदवर्जिताः ॥[5][6][7]
(अग्नि पुराण: अध्याय-16, श्लोक 1-3)
हिंदी अनुवाद - सभी देवता भगवान विष्णु से उनकी रक्षा करने का अनुरोध करते हैं! भगवान कहते हैं कि वह माया से बुद्ध रूप धारण करके राजा शुद्धोदन के पुत्र के रूप में अवतार लेंगे। उन्होंने राक्षसों को मोहित कर उनसे वैदिक धर्म का आचरण छुड़वाया। वे सभी राक्षस लोग बाद में बौद्ध बन गये और अन्य लोग भी उनसे वेदों को त्यागने लगे।
एतस्मिनैव काले तु कलिना संस्मृतो हरिः | काश्यपादुद्भवो देवो गौतमो नाम विश्रुतः | बौद्धधर्मं समाश्रित्य पट्टणे प्राप्तवान्हरिः |[8][9]
(भविष्य पुराण- प्रतिसर्ग पर्व: अध्याय 6:श्लोक 36)
हिन्दी अनुवाद - कलियुग के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने कश्यप गोत्र में गौतम बुद्ध के नाम से अवतार लिया और वह बौद्ध धर्म का विस्तार करने के लिए पटना चले गये।
ततः कलियुगे घोरे सम्प्राप्तेऽब्जसमुद्भव । शुद्धोदनसुतो बुद्धो भविष्यामि विमत्सरः ॥ बौद्धं धर्ममुपाश्रित्य करिष्ये धर्मदेशनाम् । नराणामथ नारीणां दया भूतेषु दर्शयन् ॥[10][11][12]
(विष्णुधर्म पुराण, अध्याय 66, श्लोक - 68-71)
हिंदी अनुवाद - भगवान विष्णु ने कहा फिर, भयानक कलियुग में, मैं प्रकट हुआ। मैं शुद्धोदन का पुत्र बनूंगा और बौद्ध धर्म का प्रचार करूंगा, धर्म का प्रचार करूंगा, पुरुषों और महिलाओं के प्रति दया का उपदेश दूंगा।
स्वामी विवेकानन्द के विचार
[संपादित करें]हिन्दू धर्म बौद्ध धर्म के बिना नहीं रह सकता, ठीक वैसे ही जैसे हिन्दू धर्म के बिना बौद्ध धर्म। हमें यह समझने की जरूरत है कि इस विभाजन ने हमें क्या दिखाया। बौद्ध धर्म ब्राह्मण धर्म के ज्ञान और दर्शन के बिना खड़ा नहीं हो सकता, जैसे ब्राह्मण धर्म बुद्ध के महान हृदय के बिना नहीं खड़ा नहीं हो सकता। बौद्धों और वैदिक धर्म के अनुयायियों के बीच यह विभाजन भारत के पतन का कारण है। यही कारण है कि भारत में तीस करोड़ भिखारियों का निवास है, और पिछले हजार वर्षों से भारत को विजेताओं द्वारा गुलाम बनाये जाने का कारण भी यही है। आइए हम ब्राह्मणों की अद्भुत बुद्धि को हृदय, महान आत्मा और महान शिक्षक की जबरदस्त मानव-प्रेम शक्ति के साथ जोड़ दें।[13]
सर्वपल्ली राधकृष्णन के विचार
[संपादित करें]बुद्ध का लक्ष्य उपनिषदों के आदर्शवाद को उसके सर्वोत्तम रूप में आत्मसात करना था और इसे मानवता की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुकूल बनाना था। ऐतिहासिक रूप से, बौद्ध धर्म का अर्थ था, लोगों के बीच उपनिषदों की शिक्षाओं का प्रसार। और इसमें उन्होंने जो हासिल किया वह आज भी कायम है। ऐसा लोकतांत्रिक आरोहण हिंदू इतिहास की एक विशिष्ट विशेषता है। जब महान ऋषियों के विचार-रूपी खजाने पर गिने-चुने लोगों का अधिकार था तब महान वैष्णव उपदेशक रामानुज, ने पारायणों के सामने भी रहस्यमय ग्रंथों का पाठ किया था। हम कह सकते हैं कि बौद्ध धर्म, ब्राह्मण धर्म की अपने मूल सिद्धान्तों में वापसी है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "श्रीभागवततात्पर्य्यनिर्ण्णयः — Sadaagama". tatvavadi.ru. अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "VacD-264_devatāpratimā". upasanayoga.org. अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "agnipuraaNa 1 frame". www.aa.tufs.ac.jp. अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "महाभारतम्-12-शांतिपर्व-348 - विकिस्रोतः". sa.wikisource.org (संस्कृत में). अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "०१६ बुद्धकल्क्यवतारवर्णनम्". vishvasa.github.io (अंग्रेज़ी में). मूल से 5 सितंबर 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "Read-Chapter | E-Bharatisampat". ebharatisampat.in. मूल से 5 सितंबर 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "अग्निपुराणम् - षोडशोऽध्यायः". satsangdhara.net. मूल से 5 सितंबर 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "बौद्ध पूर्णिमा पर विशेष : सनतान धर्म मे अनेक बुद्ध हुए है - एन सी आर खबर : खबरे आपकी आपके घर तक". एन सी आर खबर : खबरे आपकी आपके घर तक (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ गुरु, श्रीभागवतानंद (2021-11-26). अमृत वचन: Amrit Vachan. Shri Bhagavatananda Guru.
- ↑ "विष्णुधर्माः". vishvasa.github.io (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "श्री विष्णुधर्मः अध्यायः 61-70 – ayee jananyacharya indological research foundation – melkote srivaishnavism – sri ramanuja meghamala acharya ramanuja visistadvaitha ebooks alwar prabhandham ramayana gita mahabharata purana rahasya grantha" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ "विष्णुधर्मः - विकिस्रोतः". sa.wikisource.org (संस्कृत में). अभिगमन तिथि 2023-09-05.
- ↑ Vivekananda. Buddhism, The Fulfilment Of Hinduism // Swami Vivekananda: Complete Works Archived 2018-10-20 at the वेबैक मशीन / लेखक. Sanjay Kumar. — LBA, 2018. — 358 p. — ISBN 9782377879212.