खर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]खर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. गधा ।
२. खच्चार ।
३. बगला ।
४. कौवा ।
५. एक राक्षस जो रावण का भाई था ओर पंचवटी में रामचंद्र के हाथ से मारा गया था ।
६. तृण । तिनका । घास । यौ॰— खर कतवार = दे॰ 'खरपतवार' । उ॰— गा सब जनम अबिरथा मोरा । कत में खर कतवार बटोरा । —चित्रा॰, पृ॰ १३० । खरपतवार = कूड़ा करकट ।
७.
६०. संवत्सरों में से २५ वाँ संवत् । इस वर्ष में बहुत उपद्रब होते हैं ।
८. प्रलंबासुर का एक नाम ।
९. छप्पय छंद का एक भेद ।
१०. एक चौकोर वेदी जिसपर यज्ञों में यज्ञपात्र रखे जाते हैं ।
११. कंक ।
१२. कुरर पक्षी ।
१३. सूर्य का पार्श्वचर ।
१४. एक प्रकार का तृण या घास जो पंजाब, संयुक्त प्रांत और मध्य प्रदेश में होती है और जो घोंड़ों के लिये बहुत अच्छी समझी जाती है । १५ । कुत्ता श्वान (अनेकार्थ॰) ।
खर ^२ वि॰ [सं॰]
१. क़ड़ा । सख्त ।
२. तेज । तीक्ष्ण ।
३. घना । मोटा । हानिकर । अमांगलिक । जैसे, खर मास ।
५. तेज धार का ।
६. आड़ा । तिरछा ।
खर ^३ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'खराई' । मुहा॰—खर मारना = दे॰ 'खराई मारना' ।
खर ^४ † संज्ञा पुं॰[ सं॰ खर = तेज] करारा । कुरकुरा । मुहा॰—(घी) खर करना = (घी) गरम करके तपाना ।