प्रसाद
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]प्रसाद ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. प्रसन्नता ।
२. अनुग्रह । कृपा । मिहर- बानी ।
३. निर्मलता । स्वच्छता । सफाई ।
४. स्वास्थ्य ।
५. वह वस्तु जो देवता को चढ़ाई जाय ।
६. वह पदार्थ जिसे देवता या बड़े लोग प्रसन्न होकर अपने भक्तों या सेवकों को दें । देवता या बड़े की देन । जैसे,—यह सब आप ही का प्रसाद है । उ॰—यह मैं तोही मैं लखी भक्ति अपूरब बाल । लहि प्रसाद माला जु भी तन कदंब की माल ।—बिहारी (शब्द॰) ।
७. देवता, गुरुजन आदि को देने पर बची हुई वस्तु जो काम में लाई जाय ।
८. भोजन । (भक्त और साधु) ।
प्रसाद पु ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ प्रसाद] दे॰ 'प्रसाद' । उ॰—ग्रह प्रसाद (तोरन) ऊतंग छत्र जंत्रह सकटावै ।—पृ॰ रा॰, ७ ।१७१ ।