मर्कट
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]मर्कट संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. बंदर । बानर । उ॰— मर्कट मूठि स्वाद नहिं बहुरै धर घर रटत फिरौ ।—कबीर श॰, भा॰ २, पृ॰ १४० ।
२. मकड़ा ।
३. हरगीला नामक पक्षी ।
४. एक प्रकार का विष ।
५. दोहे के एक भेद का नाम जिसमें सत्रह गुरु मैं चौदह लघु मात्राएँ होती हैं । जैसे,—ब्रज में गोपन संग में राधा देखे श्याम ।
६. छप्पय का आठवाँ भेद जिसमें ६३ गुरु, २६ लघु कुल ८९ वर्ण या १५२ मात्राएँ या ६३ गुरु, २२ लघु कुल ८५ वर्णा या १४८ मात्राँए होती हैं ।