बहाउल्लाह
बहाउल्लाह | |
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बहाउल्लाह का तीर्थ | |
जन्म |
मिर्जा हुसैन अली नूरी एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "{", एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "न"एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "न" तेहरान, ईरान |
मृत्यु |
29 मई 1892 अक्का, आटोमान साम्राज्य (वर्तमान इजराइल) |
स्मारक समाधि |
बहाउल्लहा का आश्रम 32°56′36″N 35°05′32″E / 32.94333°N 35.09222°E |
राष्ट्रीयता | पारसी |
प्रसिद्धि कारण | बहाई धर्म का संस्थापक |
उत्तराधिकारी | अब्दुल बहाई |
जीवनसाथी | |
बच्चे | |
अंतिम स्थान |
बहाउल्लहा का आश्रम 32°56′36″N 35°05′32″E / 32.94333°N 35.09222°E |
बहाउल्लाह, बहाई धर्म के संस्थापक छेलै। ऊ इरान मऺ जन्मलो छेलै। उ 1863 मऺ इराक़ के बग़दाद शहर मऺ बहाई धर्म के स्थापना करलकै[१] आरू पूरा दुनिया क संदेश देलकै कि हर एक युग मऺ ईश्वर मानवजाति क शिक्षित करै हेतु मानव रूप मऺ अवतरित होय छै। आरू उ इस युग के अवतार छीकै आरू ई विश्व क एकता आरू शान्ति के सूत्र मऺ बांधैल अयलो छै। बहाउल्लाह न घोषणा करलू कि उ ही बहुप्रतीक्षित अवतार छीकै जेकरो प्रतीक्षा विश्व के हर धर्म के अनुयायी करी रहलो छै। कृष्ण के वापसी कल्कि रूप मऺ, बुद्ध के वापसी मैत्रयी अमिताभा के रूप मऺ, ईसा के पुरागमन उनको पिता के आभा के रूप मऺ आदि आदि...। बहाईयों के मानना छै कि बहाउल्लाह सम्पूर्ण धरती क एक करै के लेली अयलो छै, आरू वें धर्म, जाती, भाषा, देश, रंग आदि के समस्त पूर्वाग्रह क त्याग करी क एक होय जाय के लेली अपनो अवतरण लेलकै।।
दिल्ली का कमल मन्दिर (लोटस टेम्पल) बहाई धर्म के विश्व में स्थित सात मंदिरों में से एक है। पूरी दुनिया में बहाई धर्मावलंबी हैं, जो बहाउल्लाह को ईश्वरीय अवतार मानते हैं।
बहाउल्लाह ने 100 से ज्यादा पुस्तकें और हजारों प्रार्थनाएं लिखी थीं।
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