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निकलाय रेरिख़

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निकोलाय रेरिख

निकोलाय रेरिख
जन्म 9 अक्टूबर 1874
सेंट पीटर्सबर्ग, रूस
मौत दिसम्बर 13, 1947(1947-12-13) (उम्र 73 वर्ष)
नग्गर, हिमाचल प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता रूसी
पेशा painter, archaeologist, costume and set designer for ballets, operas, and dramas
जीवनसाथी Helena Roerich
बच्चे George de Roerich,
Svetoslav Roerich

निकोलाय रेरिख (रूसी : Николай Константинович Рерих / Nikolai Konstantinowitsch Rerich ; 9 अक्टूबर, 187413 दिसम्बर, 1947) रूसी चित्रकार, लेखक, पुरातत्त्वविद, थियोसोफिस्ट, दार्शनिक थे। वे हिप्नोसिस एवं अन्य आध्यात्मिक क्रियाओं से प्रभावित थे तथा उनकी कलाकृतियों में उसकी छाप भी दिखती है।

वे नौ अक्टूबर, 1874 को सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) में पैदा हुए, किंतु वह लंबे समय तक भारत में रहे। इन्होंने रूस, यूरोप, मध्य एशिया, मंगोलिया, तिब्बत, चीन, जापान और भारत की यात्राएं कीं। 1928 से वह हिमालय के सम्मुख आए। इसके अनुपम सौंदर्य से वह इतने प्रभावित हुए कि इन्होंने अपने जीवन के बीस वर्ष कुल्लू घाटी में व्यतीत किए। 73 वर्ष के अपने जीवन काल में इन्होंने विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में अपार ज्ञान प्राप्त किया, लेकिन प्रमुख रूप से यह अमर चित्रकार के रूप में प्रसिद्ध हुए। इनके सम्मान में अमरीका में 1929 में 29 मंजिला विशाल भवन बनवाया गया। यहां इनकी चित्रकारियां संग्रहित हैं। कुल्लू घाटी के एक गांव नग्गर में रोरिक संग्रहालय बनाया गया है। 13 दिसम्बर 1947 को इनका निधन हुआ। यह महर्षि के नाम से प्रसिद्ध थे।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी रोरिक न केवल एक महान चित्रकार ही थे बल्कि पुरातत्ववेत्ता, कवि, लेखक, दार्शनिक और शिक्षाविद् थे। वे हिमालय में एक इंस्टीट्यूट स्थापित करना चाहते थे। इस उद्देश्य से उन्होंने राजा मण्डी से १९२८ में ’’हॉल एस्टेंट नग्गर‘‘ खरीदा।[1]

सन्दर्भ

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  1. "हिमालय का चितेरा रोरिक". मूल से 21 दिसंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2013.

बाहरी कड़ियाँ

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