कियोमीजू-डेरा
कियोमीजू-डेरा 清水寺 Kiyomizu-dera | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | किता-होस्सो |
देवता | सेंजु-कैनन (सहस्त्रभुजा आर्य अवलोकीवारा) |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | 1-294 कियोमीजू, क्योटो, क्योटो प्रांत |
देश | जापान |
वास्तु विवरण | |
संस्थापक | सकनौई नो तामूरामारो, टोकागावा इमेत्सु द्वारा पुनर्निर्मित |
निर्माण पूर्ण | 778 |
वेबसाइट | |
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कियोमीजू-डेरा (जापानी: 清水寺, अंग्रेज़ी: Kiyomizu-dera) आधिकारिक तौर पर ओटावा-सान कियोमिजु-डेरा (音羽山清水寺), पूर्वी क्योटो में स्थित एक स्वतंत्र बौद्ध मंदिर हैं। यह मंदिर प्राचीन क्योटो (क्योटो, उजी और ओत्सू शहर) के ऐतिहासिक स्मारकों का हिस्सा हैं, और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में से एक हैं।[1]
इस स्थान को, यसूग्गी शिमेना में स्थित कियोमिजु-डेरा के साथ भ्रमित न हो, जो पश्चिमी जापान के माध्यम से चौगुको 33 कानोन तीर्थयात्रा के 33-मंदिर मार्ग का हिस्सा हैं, और ना ही बौद्ध पुजारी नीचरेन के साथ जुड़े कियोमीमी-डेरा मंदिर के साथ।
इतिहास
[संपादित करें]कियोमीजु-डेरा को प्रारंभिक हेन काल में स्थापित किया गया था।[2] मंदिर 778 में सकानौई नो तामूरामारो द्वारा स्थापित किया गया था, और इसकी वर्तमान इमारत 1633 में, टोकागावा इमेत्सु के आदेश पर बनाए गए।[3] पूरे ढांचे में एक भी कील का इस्तेमाल नहीं किया गया हैं। इसका नामकरण, परिसर के भीतर पानी के झरने से से लिया गया है, जोकि नज़दीकी पहाड़ियों में चला जाता हैं। कियोमीजु का अर्थ साफ पानी, या शुद्ध पानी होता हैं।[4][5]
यह मूल रूप से नारा काल से जुड़ी पुराने और प्रभावशाली होसो संप्रदाय से संबध्दित था।[6] हालांकि, 1965 में इस सम्बद्धता को तोड़ दिया और इसके वर्तमान संरक्षक अपने आप को "कितावोसो" संप्रदाय के सदस्य कहने लगे।[7]
वर्तमान
[संपादित करें]मुख्य हॉल में एक बड़ा बरामदा हैं, जो ऊंचे खंभे पर खड़ा हुआ हैं, जो ढलान से बाहर निकल इमारत को पकड़े रखा हैं, यहाँ से शहर का खुबसुरत दृश्य नज़र आता हैं। बड़ी संख्या में आने वाले तीर्थयात्रियों को समायोजित करने के लिए ईडो काल के दौरान कई लोकप्रिय स्थलों में बड़े बरामदा और मुख्य हॉल का निर्माण किया गया था।[8]
अंग्रेजी के एक लोकप्रिय अभिव्यक्ति "डुबकी लेने के लिए"("to take the plunge") के ही समकक्ष यहाँ जापानी अभिव्यक्ति "कियोमिज़ु के मंच से छलांग" प्रशिध्द हैं।[5] जोकि ईडो-काल की एक परंपरा को संदर्भित करता हैं, जिसमें कोई भी व्यक्ति यहाँ से 13-मीटर (43-फुट) नीचे कूदता हैं, और बच जाता हैं, तो उसकी एक इच्छा की पुर्ति कर दी जाएगी। ईडो काल के दौरान, यहाँ से 234 छलांगें दर्ज की गईं, और उनमें से, 85.4% लोग बच गए।[5] अब इस अभ्यास परंपरा को निषिद्ध कर दिया गया हैं।[5]
मुख्य हॉल के नीचे ओटोवा झरना है, जहाँ जल, तीन नाली के माध्यम से एक तालाब में आकर गिरते हैं। कोई भी आगंतुक इसका पानी पी सकता हैं, माना जाता है कि इसमें मनोकामना पूर्ण करने कि शक्ति होती हैं।
चित्र दीर्घा
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शरद ऋतु में कियोमीजू-डेरा
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शरद ऋतु में कियोमीजू-डेरा
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सर्दियों में कियोमीजू-डेरा
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एक नीओमोन (देव द्वार)
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शरद ऋतु में पेगोड़ा
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पेगोड़ा और आसन्न इमारत का सामने से दृश्य।
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कसितिगर्भा (या जीजो) की मूर्तिया सामूहिक रूप से
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ओटावा-नो-टाकी, झरना जहाँ का जल, आगंतुक स्वास्थ्य, दीर्घायु, और अध्ययन में सफलता के लिए पीते हैं।
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जीसू-जानजा के टोरी, एक मंगलमय मंदिर।
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तीन मंजिला पेगोड़ा, शाम के समय।
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कियोमीजू-डेरा, प्रबुद्ध
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कियोमीजू-डेरा, प्रबुद्ध
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कियोमीजू-डेरा, प्रबुद्ध
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कियोमीजू-डेरा, प्रबुद्ध
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Historic Monuments of Ancient Kyoto (Kyoto, Uji and Otsu Cities)". मूल से 1 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-12-20.
- ↑ Ponsonby-Fane (1956), p. 111.
- ↑ Graham (2007), p. 37
- ↑ "Kiyomizu Temple". 2007-04-07. मूल से 3 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-12-18.
- ↑ अ आ इ ई "Kiyomizudera, Kyoto". मूल से 12 सितंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-12-18.
- ↑ Graham (2007), p. 32
- ↑ "Kiyomizu-deploy". मूल से 15 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 नवंबर 2017.
- ↑ Graham 2007, p. 80